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FAQs
हिन्दू धर्म में षड्दर्शन (छः दर्शन) अधिक प्रसिद्ध और प्राचीन हैं। ये :सांख्य, योग, न्याय, वैशेषिक, मीमांसा और वेदान्त के नाम से विदित है। इनके प्रणेता क्रमशः कपिल, पतंजलि, गौतम, कणाद, जैमिनि और बादरायण हैं ।
इनके आरंभिक संकेत उपनिषदों में भी मिलते हैं। प्रत्येक दर्शन का आधारग्रंथ एक दर्शनसूत्र है। "सूत्र" भारतीय दर्शन की एक अद्भुत शैली है।
गिने-चुने शब्दों में सिद्धांत के सार का संकेत सूत्रों में रहता है। संक्षिप्त होने के कारण सूत्रों पर विस्तृत भाष्य और अनेक टीकाओं की रचना हुई। गुरु-शिष्य-परंपरा के अनुकूल दर्शन की शिक्षा और रचना इसका आधार है।
बिना दर्शनों के आध्यात्मिक पवित्रता एवं उन्नयन होना दुर्लभ है। दर्शन-शास्त्र ही हमें प्रमाण और तर्क के सहारे अन्धकार में दीपज्योति प्रदान करके हमारा मार्ग-दर्शन करने में समर्थ होता है।
गीता के अनुसार संसार में करणीय और अकरणीय क्या है, इस विषय में विद्वान भी अच्छी तरह नहीं जान पाते। परम लक्ष्य एवं पुरुषार्थ की प्राप्ति दार्शनिक ज्ञान से ही संभव है, अन्यथा नहीं।
भारतीय दर्शन के दो प्रमुख विभाग है : आस्तिक और नास्तिक। ईश्वर की सत्ता में विश्वास रखने वाला ही आस्तिक है और जो इसके विपरीत है वह नास्तिक। परन्तु दार्शनिक दृष्टि से आस्तिक-नास्तिक का अर्थ दूसरा है।
न्याय- गौतम : न्याय सूत्र तार्किक सोच पर केंद्रित है।
वैशेषिक- कणाद : वैशेषिक सूत्र प्राकृतिक दर्शन में परमाणुवाद का एक रूप है।
सांख्य- कपिला : सांख्य सूत्र सब कुछ पुरुष (आत्म, आत्मा या मन) और प्रकृति (पदार्थ, ऊर्जा) से उपजा है।
योग- पतंजलि : योग सूत्र योग शरीर, मन और इंद्रियों को नियंत्रित करती है, इस प्रकार इसे स्वतंत्रता या मुक्ति प्राप्त करने का साधन माना जाता है।
पूर्व मीमांसा- जैमिनी : पूर्व मीमांसा सूत्र यज्ञों और मंत्रों की शक्ति पर जोर देता है।
उत्तर मीमांसा या वेदांत : बदरायण या महर्षि व्यास: उत्तर मीमांसा सूत्र जड़ जगत का उपादान और निमित्त कारण चेतन ब्रह्म है।
भारतीय दर्शन, खंड 1 - Dr. सर्वपल्ली राधाकृष्णन इसमें वैदिक और महाकाव्य काल शामिल हैं, जिसमें ऋग्वेद, उपनिषद, जैन धर्म, बौद्ध धर्म और भगवद्गीता के आस्तिकता के भजन शामिल हैं।
ऋग्वेद से लेकर रामानुज तक, राधाकृष्णन भारतीय दर्शन के विकास को युगों से विचार की एकल परंपरा के रूप में देखते हैं। लेखक प्राचीन दार्शनिक ग्रंथों को प्रदर्शित करता है और उन्हें दर्शन और धर्म के समकालीन मुद्दों से जोड़ता है।
प्रख्यात दार्शनिक जे.एन. मोहंती, द्वारा एक नए परिचय के साथ यह दूसरा संस्करण काम की निरंतर प्रासंगिकता और इसके द्वारा प्रतिनिधित्व की जाने वाली दार्शनिक परंपरा पर प्रकाश डालते हैं।
There are various ways to open your mind, gather information, know about everything around you, and build your mindset. But there is no better way than reading books on philosophy.
If you are looking for philosophical books in Hindi, there are multiple books available at Exotic India, of which several are best-sellers. Some of the best books that you must buy and read are
☛ “सफल जीवन की राहें: How to Lead a Truly Successful Life” by Prof. Rajendra Garg
☛ “मैं मृत्यु सिखाता हूं: I Teach Death” by Osho
☛ धर्म दर्शन: Philosophy of Religion” by Dr. Ramendra
Philosophical books help readers to be inquisitive in their life that drives them to understand their purpose and goal. It inspires them to learn more about life and make a genuine inquiry.
Some good philosophical novels in Hindi are
☛ “गाँधी - जीवन और दर्शन - Gandhi's Life and Philosophy” by Rajendra Toki
☛ “सफ़र के बीच (उपन्यास) - Between The Journeys (Hindi Novel An Old Book)” by Deepti Kulshreshtha
☛ “सफ़र के बीच (उपन्यास)- Between The Journeys” by Surjit Singh Sethi and Jaswant Singh Virdi
☛ “श्री पारवा- Shri Parva” by Gurudev Singh Rupana and Preetpal Rupana.
If there is one topic that is vast and not easy to understand, it has to be the structure and philosophy of Hinduism. Many ancient learned scholars have tried to present their viewpoints about Hinduism through books.
Therefore, books are the ultimate source of knowledge in any field or subject matter. There are many books available at Exotic India that talk about Hindu philosophy such as
☛ “अथातो भारतीय दर्शनशास्त्र- Athato Indian Philosophy” by Shilak Ram
☛ “अथातो भारतीय दर्शनशास्त्र- Athato Indian Philosophy” by Swami Pratyagatmananda Saraswati
☛ “पुरुषार्थ: Purusartha The Aim of Human Life” by Dr. Bhagwan Das
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