ईश्वरीय वाणी की महानता के स्पष्ट प्रमाण के रूप में अवतारों द्वारा दी गई पवित्र पुस्तकें जैसे वेद व पुराण, गीता, श्रीमद्भगवद्द्युराण, बाइबिल, कुरान, त्रिपटिक, बयान और किताब-ए-अकदस ईश्वर की वाणी की महत्ता और सृजनात्मक शक्ति के ज्वलंत उदाहरण हैं। इनके माध्यम से पृथ्वी पर ईश्वर के आविर्भाव या अवतरण का प्रत्यक्ष अनुभव किया जा सकता है। आज ईश्वरीय शब्द नई आभा के साथ पुनः प्रकटित हुए हैं तथा इस युग में उनके प्रकटन के माध्यम हैं बहाउल्लाह।
इस पुस्तक में बहाउल्लाह के जीवन और उनके स्थान का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत करते हुए उनके द्वारा किये गये महान कार्यों का वर्णन करने का प्रयास किया गया है, उनके पारिवारिक जीवन, विवाह तथा बाब के धर्म का प्रसार करने के लिए यात्रा करने तथा अपनी विद्वता को प्रदर्शित करने की एक झलक प्रस्तुत की गई है। इसके अलावा बाबी धर्मकाल के ऐतिहासिक "बदस्त' सम्मेलन का वर्णन, एक मात्र महिला जीविताक्षर ताहिरा के जीवन की कठिनाइयों और कारावास तथा उससे मुक्ति के विवरण के बारे में बताने का प्रयास किया गया है। इसी काल की प्रमुख घटनाओं में शेख तबरसी के किले की घटनाओं की संक्षिप्त जानकारी भी प्रस्तुत की गई है।
बाबी धर्म के संस्थापक, बाब को 750 गोलियों से शहीद कर दिये जाने के पश्चात दो नासमझ बाबियों द्वारा नसिरुद्दीन शाह पर प्राणघातक नाकाम हमला के परिणामस्वरूप बाबियों पर हुए अत्याचार का मार्मिक वर्णन भी इस पुस्तक में मिलेगा, जो हमारी आत्मा को झककोर देता है। इस घटना का दोषी बहाउल्लाह को माना गया और उन्हें सियाहचाल नामक जेल में डाल दिया गया। इस काल में बाबियों पर उत्पीड़न चरम सीमा पर था। उन उपरोक्त घोषणा के साथ ही अनुयायियों के चेहरे खिल उठे, विदाई का शोक प्रसन्नता में परिवर्तित हो गया। यह दिन बहाउल्लाह के जीवन में सबसे अनोखा दिन था। बहाउल्लाह की इस घोषणा का समारोह रिजवान के उपवन में अनवरत 12 दिन अर्थात् 21 अप्रैल से 2 मई तक चलता रहा, इन्ही 12 दिनों को 'रिज़वान के दिन' और 21 अप्रैल को 'पर्वराज रिज़वान" के रूप में मनाया जाता है।
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