इस पुस्तक को सम्पूर्ण रूप से पढ़ने के बाद मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूँ कि मानव जीवन में शान्ति के लिये योग अनिवार्य है। यम मानव का दूसरे प्राणियों के प्रति व्यवहार के बारे में बताता है तो नियम आत्म-शोधन के सम्बन्ध में यम का अर्थ है शासन और व्यवस्था। यदि विश्व का प्रत्येक व्यक्ति यमों (सत्य, अहिंसा, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह) का पालन करने लगे तो विश्व में स्वतः शान्ति स्थापित हो जाय। यह तभी सम्भव है जब प्रत्येक व्यक्ति को योग की जानकारी हो तथा उनके द्वारा अपनाया जाय, जो कि शिक्षा के माध्यम से दी जा सकती है। उपरोक्त यम, नियम आदि किसी जाति, धर्म, भाषा, देश, काल, लिंग आदि से बाधित नहीं है। अतः योग-शिक्षा को समाज द्वारा समर्थन का आग्रह किया गया है। 'कर्मयोगी' राजेश जी का 'विश्व शान्ति' की संकल्पना में यह प्रयास सराहनीय है। सफलता की शुभ कामनाओं सहित।
For privacy concerns, please view our Privacy Policy
Hindu ( हिंदू धर्म ) (12491)
Tantra ( तन्त्र ) (986)
Vedas ( वेद ) (705)
Ayurveda ( आयुर्वेद ) (1890)
Chaukhamba | चौखंबा (3352)
Jyotish ( ज्योतिष ) (1442)
Yoga ( योग ) (1093)
Ramayana ( रामायण ) (1389)
Gita Press ( गीता प्रेस ) (731)
Sahitya ( साहित्य ) (23031)
History ( इतिहास ) (8222)
Philosophy ( दर्शन ) (3378)
Santvani ( सन्त वाणी ) (2532)
Vedanta ( वेदांत ) (121)
Send as free online greeting card
Email a Friend
Manage Wishlist