इस्मत चुगताई भारतीय साहित्य में वो आवाज है जिसने अपने जमाने में बनती हुई प्रगतिशीलता को अपनी कहानियो और उपन्यासों से एक चेहरा दिया , उसे आवाम के समझने और अपनाने लायक बनाया | अपने किरदारों के माध्यम से उन्होंने उस हिम्मत को साकार किया, जो कम-से-कम उनके दौर में तो स्त्रियों के लिए एक दिवास्वप्न ही थी |
अपनी कलम की एक- एक जुम्बिश से सौ-सौ जादू जगाने वाली इस्मत चुगताई ने अपने इस उपन्यास में समाज की मुर्दा और सड़ी-गली परम्पराओ से आजाद होकर 'दिल की दुनिया' आबाद की है-यह एक युवती की कहानी है जिसे शादी के बाद शौहर ने छोड़ दिया था | मजहब और समाज की गलत मान्याताओं के दरमियान जिसे रास्ता न सूझता था लेकिन जिसने अपनी ही जैसी एक बदनसीब जिंदगी से हौसला पाकर अपने चारो तरफ एक आभामंडल बन दिया |
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