चाहें जितनी घोर बाधायें हों, मानवजाति जिस कालखंड में प्रवेश कर चुकी है वह धरती के प्रत्येक व्यक्ति, प्रत्येक संस्था, प्रत्येक समुदाय के लिए ऐसे अभूतपूर्व अवसरों का द्वार खोलने वाला है ताकि वे सब इस धरती का प्रारब्ध लिखने में भागीदार बन सकें। बहाउल्लाह का विश्वासपूर्ण वचन हैं : "शीघ्र ही यह वर्तमान व्यवस्था समेट ली जाएगी और इसकी जगह फैला दी जाएगी एक नई विश्व-व्यवस्था।"
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