आज के युग में कर्मकाण्ड, पूजा, अनुष्ठान इत्यादि में कई बार 'स्तोत्र' की मूल कुंजी नहीं मिल पाती है मैंने कई बड़ी पुस्तके पढ़ी तथा अध्ययन किया कि कहीं ना कहीं कुछ कमी रह जाती है यह तो मैं भी नहीं कहूंगा की मुझसे गलती नहीं होती है फिर भी जिन स्तोत्रो का संग्रह मुझे पुराणिक पुस्तको प्राचीन कर्मकाण्ड एवं प्राचीन दुर्लभ्य ग्रन्थों से मिला उन सबको एक पुस्तक के रूप में जनकल्याण हेतु पूजा-प्रकाशन-दिल्ली वालो के सहयोग से कोशिश की है। हमारे भारत देश एवं विदेशों में रहने वाले भाई-बहन एवं कर्मकाण्ड पण्डितगण इस पुस्तक के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा लाभ उठा सके यही मेरा प्रयत्न है।
इसमें प्राचीन प्रचलित, नित्यप्रति व्यवहार में आने वाले सिद्ध-स्तोत्रों का संकलन तो है ही साथ में भारत के गण्यमान्य विद्वानों द्वारा रचित स्तोत्रों का भी संकलन है मुझे उम्मीद है कि अब तक के प्रकाशित अन्य स्तोत्रों का संग्रह से भिन्न होगा।
इस मूल-पाठ-स्तोत्र पुस्तिका की शुद्धता एवं आधुनिक शैली के साथ सम्पादन किया गया है। इसमें समस्त प्रदान करने वाले सूक्ष्म दृष्टी विद्वानों एवं सन्त-महात्माओं का अभार मानता हूँ साथ ही जिन ग्रन्थों से सहायता मिली है। उन विद्वान ग्रन्थ सम्पादनों के प्रति भी अपना आभार मानता हूँ ।
आकर्षक साज-सज्जा आधुनिकरण व वैज्ञानिकरण कम्प्यूटर के माध्यम से साफ-सुन्दर एवं विशुद्ध मुद्रण के लिए 'पूजा प्रकाशन, दिल्ली' के संचालक 'श्री अतुल गर्ग जी' विशेष धन्यवाद के पात्र है।
इसका संशोधन सम्पादन एवं संकलन में बड़ी सावधानी के साथ किय गया है। फिर भी मानव दोष सम्भव है त्रुटियों के लिए मैं क्षमा प्रार्थी हूँ।
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