पुस्तक परिचय
विनोबा भावे देश की स्वंत्रता के लिए गांधी जी स्वर चलाये गए सत्याग्रह आंदोलन के 'प्रथम सत्याग्रही ' थे! सर्वतोमुखी प्रतिभा के धनि विनोबा जी मौलिक चिंतक, दार्शनिक, गणितज्ञ एवं विज्ञानवेत्ता तो थे ही; उनमे बुध्दि, वाणी और कर्म का अपूर्व समन्वय भी था! बूदान और सर्वोदय आंदोलन के द्वारा उन्होंने देश की महान सेवा की! एकादश व्रत की चर्चा करते हुए विनोबा जी ने कहा की देश-सेवकों को इनका पालन नम्रतापूर्वक और पूर्ण विश्वास से करना चाहिए!
अहिंसा, सत्य अस्तेय (चोरी न करना), ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह, शरीर श्रम, अस्वाद अभय, सर्वधर्म समभाव, स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग और अस्पृश्यता का निवारण - इन ११ मानकों में गुंथा था उनका समूचा जीवन - दर्शन!
विनोबा भावे की प्रेरणा से चम्बल के खूंखार डाकुओं ने आत्मसमपर्ण किया! जीवन के अंतिम दिनों में इस महान 'समाजसेवी' ने स्वं को आध्यात्मिक विकास की और केंद्रित का लिया! गांधीवाद को व्यावहारिक धरातल देने वाले इस महान पुरुष को मृत्यु के बाद देश के सर्वोच्च नागरिक सामान 'भारत रत्न' सा मानित किया गया!
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