विज्ञान संचार और लोकप्रियकरण का मुख्य ध्येय जनमानस में वैज्ञानिक चेतना उत्पन्न करना और उनके जीवन को आसान बनाना है। ऐसे में हिन्दी भाषा में विज्ञान संचार का प्रयास बहुसंख्य आबादी में वैज्ञानिक चेतना के प्रसार में प्रभावी भूमिका निभा सकता है। विज्ञान व तकनीक के साथ बदलते विश्व की नई संरचना में आधुनिक जन संचार माध्यमों का सीचा हस्तक्षेप है। सदियों से साहित्यिक भाषा के रूप में हिन्दी ने अपनी श्रेष्ठता का परिचय दिया है और जनसंवार के माध्यम के रूप में हिन्दी का प्रयोग कोई नई बात नहीं है। आधुनिक जनसंचार माध्यमों जैसे कि समाचार पत्र, पत्रिकाएं, ब्लॉग, सोशल मीडिया आदि ने हिन्दी द्वारा संचार को एक नई दिशा दी है।
विज्ञान संचार कोई नई विधा नहीं है, अपितु ऐतिहासिक रूप से यह किसी न किसी रूप में प्रचलित रही है। मानवता के समग्र विकास के लिए विज्ञान उत्तरदायी है और यह सुनिश्चित करने के लिए कि विज्ञान समाज के सभी स्तरों तक पहुंचे विज्ञान संचार अपरिहार्य है।
विज्ञान संचार, एक ओर जहां तकनीकी ज्ञान और अनुसंधान पर केन्द्रित होता है, तो वहीं लोकरुचि पर भी आधारित होता है। यदि हम बात करें संचार प्रौद्योगिकी की तो विज्ञान और प्रौद्योगिकी के संप्रेषण की दिशा में डिजिटल माध्यम एक सशक्त जरिया है जिसके द्वारा सूचनाओं के परस्पर आदान-प्रदान ने जीवन को सरल बना दिया है। साथ ही लोककलाओं के माध्यम से जनजागरूकता का प्रयास एक सशक्त माध्यम साबित हुआ है। विचारों को अभिव्यक्त करने के लिए लिखित साहित्य में अनेक विधाएं होती हैं। इन अभिव्यक्तियों में विज्ञान लेखन को प्रोत्साहित करने के लिए व्यक्तिगत प्रयासों के साथ-साथ संस्थागत प्रयासों पर जोर देना आवश्यक है और इसी प्रयास का एक स्वरूप इस पुस्तक के माध्यम से आपके समक्ष प्रस्तुत है।
भारतीय स्वतंत्रता के 75वें वर्ष का उत्सव पूरे देश में 'आजादी का अमृत महोत्सव' के रूप में मनाया जा रहा है। इसी संदर्भ में सीएसआईआर-राष्ट्रीय विज्ञान संचार एवं नीति अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-निस्पर) ने विज्ञान संचार और लोकप्रियकरण पर केन्द्रित इस पुस्तक का निर्माण किया है। सीएसआईआर-निस्पर के विज्ञान संचार अध्ययन अनुभाग द्वारा प्रकाशित यह पुस्तक विभिन्न विधाओं द्वारा हिन्दी में विज्ञान संचार पर केन्द्रित एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। यह पुस्तक विज्ञान संचार की विभिन्न विधाओं को एक दिशा देने का एक अनोखा प्रयास है। मैं विज्ञान संचार अध्ययन अनुभाग के समस्त सदस्यों को इस पुस्तक के प्रकाशन हेतु बधाई देती हूं और आशा करती हूं कि यह पुस्तक अपने उद्देश्य की पूर्ति करते हुए विज्ञान संचार के प्रति जनमानस को सजग और सक्रिय बनाने में सफल होगी।
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