इस कथा-संग्रह में विश्वामित्र के ब्रह्मर्षि बनने की कथा है। मान-अभिमान का त्याग किए बिना कोई भी सफलता के शिखर पर नहीं पहुँच सकता है। यह इस कथा में भलीभाँति दर्शाया गया है। इसके अतिरिक्त 'परोपकारी ऋषिवर दधीचि', 'विश्वकर्मा द्वारा इन्द्र का भवन तैयार करने', 'बलि और वामन' तथा 'बैर से बैर कभी शांत नहीं होता', ये चार कथाएँ इसमें और जोड़ी गई हैं। सभी कथाएँ शिक्षा-प्रद और रोचक हैं। इनसे शिक्षा ग्रहण कर प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन की दिशा बदल सकता है। सच्चे पुरुषार्थ, परोपकार और निरभिमानता जैसे सद्गुणों के विकास की प्रेरणा इस छोटी सी बाल-पुस्तक से मिलेगी, इस आशा और विश्वास से हम इसे प्रकाशित कर रहे हैं।
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