उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के पूर्व निदेशक विनोद चन्द्र पाण्डेय 'विनोद' साहित्यिक प्रतिभा के धनी एवं कुशल प्रशासक मानवीय संवदेनाओं से परिपूर्ण जीवन के शाश्वत मूल्यों के प्रति आस्थावान एवं राष्ट्र भाषा हिन्दी तथा हिन्दी साहित्य को तन, मन, धन से समर्पित सुप्रतिष्ठित रचनाकार कविवर विनोद चन्द्र पाण्डेय 'विनोद' एक विलक्षणा प्रतिभा सम्पन्न व्यक्तित्व के साहित्यकार हैं। बाल्यकाल से ही काव्य प्रतिभा के धनी श्री विनोद चन्द्र की प्रथम प्रकाशित कविता तत्कालीन लोकप्रिय मासिक बाल पत्रिका 'लल्ला' में प्रकाशित हुयी। अल्पायु में ही 'विनोद वाटिका' श्री विनोद का प्रथम काव्य-संग्रह था। उत्तरोत्तर भाव-भाषा और अभिव्यक्ति में निखार आता गया और उनकी लेखनी सशक्त होती गयी।
कविवर विनोद ने जीवन के सभी पक्षों को अपनी रचनाओं में स्वर दिया है। सृष्टि के सौन्दर्य के रचनाकार ने जहाँ प्रकृति, समर्पण, प्रेम जैसी हृदयानुभूतिपूर्ण रचनाओं को रचा है तो वहीं समाज की विसंगतियों पर भी तीखी चोट की है और साथ ही साथ राष्ट्रीय चेतना जाग्रत करने के लिए राष्ट्रीय रचनाओं का भी सृजन किया है। श्री विनोद की अभिव्यक्ति किसी रस एवं भाव विशेष तक सीमित नहीं रही है।
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