कहल जाइत अछि जे मनुक्ख एकटा सामाजिक प्राणी अछि । सम्पूर्ण ब्रह्माण्डमे मनुक्खे टा एकटा एहेन प्राणी अछि जकरामे किछु एहेन विशेष गुण विद्यमान छैक जाहिसँ ओ सर्वश्रेष्ठ प्राणी मानल जाइत अछि । आ प्राणीक एहि श्रेष्ठताक पाछू निश्चित रूपें भाषाक बहुत पैघ योगदान अछि, तकरा नकारल नहि जा सकैत अछि । जँ सोचवै तऽ लागत जे भाषा आ समाजमे अन्योन्याश्रय संबंध छैक। भाषाक विना समाजक कल्पना नहि कएल जा सकैत अछि, आ जँ समाज नहि तखन भाषाक प्रयोजने की ?
एहि संसारमे अनेको प्रकारक भाषा बाजल आ लिखल-पढ़ल जाइत अछि । प्रत्येक प्रांत अथवा समुदायक अपन एकटा मातृभाषा होइत अछि आ ओहीमे सँ कोनो राजभाषाक पदवी प्राप्त करबाक सौभाग्य प्राप्त कऽ लैत अछि ।
प्रत्येक भाषा ओहि क्षेत्रक सभ्यता, संस्कृति, रहन-सहनके सक्षमता से व्यक्त करैत अछि । ओ भाषा ओहि क्षेत्रक पहचान भऽ जाइत अछि ।
मनुष्यक विकास के संगहि दुनियाँ भरि केर देश सबमे समयानुसार भाषामे परिवर्तन भेल अछि ।
Hindu (हिंदू धर्म) (12711)
Tantra (तन्त्र) (1023)
Vedas (वेद) (708)
Ayurveda (आयुर्वेद) (1906)
Chaukhamba | चौखंबा (3360)
Jyotish (ज्योतिष) (1466)
Yoga (योग) (1097)
Ramayana (रामायण) (1382)
Gita Press (गीता प्रेस) (733)
Sahitya (साहित्य) (23190)
History (इतिहास) (8270)
Philosophy (दर्शन) (3393)
Santvani (सन्त वाणी) (2590)
Vedanta (वेदांत) (120)
Send as free online greeting card
Email a Friend
Manage Wishlist