कहल जाइत अछि जे मनुक्ख एकटा सामाजिक प्राणी अछि । सम्पूर्ण ब्रह्माण्डमे मनुक्खे टा एकटा एहेन प्राणी अछि जकरामे किछु एहेन विशेष गुण विद्यमान छैक जाहिसँ ओ सर्वश्रेष्ठ प्राणी मानल जाइत अछि । आ प्राणीक एहि श्रेष्ठताक पाछू निश्चित रूपें भाषाक बहुत पैघ योगदान अछि, तकरा नकारल नहि जा सकैत अछि । जँ सोचवै तऽ लागत जे भाषा आ समाजमे अन्योन्याश्रय संबंध छैक। भाषाक विना समाजक कल्पना नहि कएल जा सकैत अछि, आ जँ समाज नहि तखन भाषाक प्रयोजने की ?
एहि संसारमे अनेको प्रकारक भाषा बाजल आ लिखल-पढ़ल जाइत अछि । प्रत्येक प्रांत अथवा समुदायक अपन एकटा मातृभाषा होइत अछि आ ओहीमे सँ कोनो राजभाषाक पदवी प्राप्त करबाक सौभाग्य प्राप्त कऽ लैत अछि ।
प्रत्येक भाषा ओहि क्षेत्रक सभ्यता, संस्कृति, रहन-सहनके सक्षमता से व्यक्त करैत अछि । ओ भाषा ओहि क्षेत्रक पहचान भऽ जाइत अछि ।
मनुष्यक विकास के संगहि दुनियाँ भरि केर देश सबमे समयानुसार भाषामे परिवर्तन भेल अछि ।
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