पुस्तक के विषय में
प्रस्तुत ग्रन्थ की विषयवस्तु 'वैशेषिक दर्शन' है। आस्तिक भारतीय दर्शनों में अन्यतम वैशेषिक दर्शन के सिद्धान्त वर्तमान अध्ययन की दृष्टि से अतीव प्रसांङिग्क हैं-किन्तु खेद का विषय है कि इस दर्शन की विचारसरणि अधिक प्रसार नहीं पा रही क्योंकि इसमें निहित दार्शनिक तत्त्व अत्यन्त निगूढ एवं सूक्ष्म हैं। अत: ऐसे ही कुछ उपेक्षित परन्तु अपेक्षणीय बिन्दुओं पर आधारित शोध-निबन्धों का यह संकलन वैशेषिक उपादेय होगा तथा इस दिशा में शोध करनेवाले जिज्ञासुओं के लिए कुछ नूतन विचारणीय सामग्री भी प्रस्तुत करेगा, ऐसा विश्वास है। इस संकलन में रखे गये निबन्ध वैशेषिक, तत्त्वमीमांसा, नीतिमीमांसा, सृष्टिमीमांसा, ज्ञानमीमांसा एवं वैशेषिक साहित्य के सन्दर्भ में विविध पक्षों को प्रस्तुत करते हैं, अत: 'वैशेषिक दर्शन-परिशीलन' इस नाम की अन्वर्थता भी सिद्ध होती है। आशा है कि प्रस्तुत कृति द्वारा भारतीय दर्शन के अध्येता वैशेषिक दर्शन के विशेष अध्ययन में प्रेरित एवं प्रवृत्त्व होगें।
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