प्रस्तुतग्रन्थ उपनिषद् रत्नमञ्जूषा में ईश,केन, कठ आदि ग्यारह मुख्य उपनिषदों के अतिरिक्त योग से सम्बद्ध बीस उपनिषदों की सूक्तियों का भी संग्रह प्रस्तुत किया गया है। मुझे आशा है कि आध्यात्मिक ज्ञान के जिज्ञासुओं और सामान्य जनों के लिये यह संग्रह मार्गदर्शन करने में उपयोगी होगा।
अपने अनुभवों के आधार पर उन्होंने योग विद्या से सम्बन्धित 'गोरक्षपद्धति, घेरण्ड संहिता और हठयोग प्रदीपिका, योगशब्दकोश, योग उपनिषदः तथा योग एवं मानसिक स्वास्थ्य' महाभारत कथा (2 भाग), महाभारत की प्राचीन कथायें, महाभारत सूक्ति सुधा (2 भाग) और महाभारतनवनीत सहित दशाधिक ग्रन्थों का प्रणयन किया है। उपनिषद्रत्नमञ्जूषा उनकी नवतम रचना है।
पँचानवे वर्ष की आयु में भी आप निरन्तर अध्ययन, लेखन तथा योगाभ्यास करते हुये सक्रिय रहकर माँ भारती की सेवा में सन्नद्ध हैं।
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