अपने देश के किशोर-किशोरियों को रचनात्मक मूल्यों से जोड़ने का मंतव्य लेकर हमने बाल साहित्य के प्रकाशन का संकल्प लिया। बच्चों के लिए साहित्य के नाम पर इस समय जो कुछ छप रहा है, उसमें दशांश भी ऐसा साहित्य नहीं है जो बच्चों की कोमल भावनाओं को रचनात्मक मोड़ दे सके। अधिकांश साहित्य उत्तेजित करने वाला, रोमांचकारी अथवा मनोरंजन के सस्ते मसालों से भरा होता है, जिससे बचपन, छोड़कर युवावस्था में प्रवेश करते-करते हमारी नई पीढ़ी दिशा-हीन होती जा रही है। उसमें मानव मूल्यों, की समझ विकसित नहीं हो रही। निराशा और भटकाव के इस अंधकार में हमने संकल्प पूर्वक बाल उपन्यास के नन्हें नन्हें प्रकाश दीपों को प्रकाशित करने का निर्णय लिया है, जिससे बाल-जगत को नई रोशनी मिलेगी। हमें विश्वास है इस रोशनी में हमारी नई पीढ़ी अपनी राह ढूंढ़ निकालेगी।
'तिरस्कार' हमारी इस दीपमाला का प्रथम दीप है। इस बाल-उपन्यास में पौराणिक बालक 'ध्रुव' के माध्यम से बच्चे के अंदर छुपी असाधारण शक्तियों को उद्घाटित करने का प्रयास है। हम यह दावे के साथ कह सकते हैं कि यह कृति पाठक के मन पर छा जायेगी और उसके अंतः जगत को मथ डालेगी।
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