पराशर उवाच
शताध्यायी बृहत्पाराशरी के विशाल और व्यापक कलेवर से चुन चुन कर ऐसे खास और दैनिक व्यवहारोपयोगी पाराशरी नियमों का खुलासा करने वाला अनोखा ग्रन्थ अपने योग्य पाठकों के खास आग्रह पर बहुत आसान हिन्दी भाषा में प्रस्तुत किया जा रहा है । पाराशरी नियम मूल ग्रन्थ में इधर उधर बिखरे हैं, जिन्हें रोजाना व्यवहार में लाने के लिए आम पाक तो क्या विद्वान् ज्योतिषियों को भी मूलग्रन्थ में काफी इधर उधर भटकना पड़ता है । यह रचना इस अभाव की पूर्ति करती है । हजारों मूल पाराशरी श्लोकों का सार क्रमबद्ध, तुरन्त इस्तेमाल करने में आसान तरीके से पेश करते हुए यहां समुद्र को एक कलश में पेश करने का अकिंचन प्रयास किया गया है ।
महर्षि पराशर के सिद्धान्तों की आत्मा का साक्षात्कार;
लगभग 4500 श्लोकों का सम्पूर्ण सारग्राही वास्तविक उदाहरण सहित विवेचन;
ग्रह राशि व न क्षत्र का विवेचन;
विशेष लग्नों का विचार;
सोलह वर्गो का स्पष्ट विचार;
बारह भावों का फल कहने के नियम;
राजयोगादि विविध योग व योगकारक ग्रहों का विवेचन;
आयुर्दाय व मारक भेद;
व्यवसाय निर्णय, ग्रहों की अवस्थाएं;
बयालीस दशाभेद, दशाभेद, के आधारभूत नियम;
अष्टकवर्ग, रश्मि व सुदर्शन चक्र;
ग्रहदोष, शाप व उनकी शान्ति;
स्त्री व नक्षत्र जातक; नाड़ी मुहूर्त विचार;
विविध विषय विवेचन ।
अनुक्रमणिका
1
ग्रह विचार
12-19
2
उपग्रह (अप्रकाश ग्रह) विचार
20-24
3
राशि विचार विशेष
25-45
4
लग्न विचार
46-55
5
भाव विचार
56-82
6
विविध योग विचार
83-91
7
राजयोग विचार
92-96
8
धनयोग विचार
97-99
9
कार्यक्षेत्र विचार
100-103
10
ग्रहदशा विचार
104-118
11
राशिदशा विचार
119-144
12
दशाफल विचार
145-153
13
अष्टकर्ता विचार
154-166
14
ग्रहरश्मियों का विचार
167-168
15
सन्यास योगों का विचार
169-171
16
ग्रह भाव बल का स्पष्ट विचार
172-184
17
इष्ट कष्ट या शुभ अशुभ बल विचार
185-190
18
आयुर्दाय विचार
191-201
19
स्त्री ज्योतिष विचार
202-206
20
पूर्वशाप विचार
207-216
21
विविध विषय विचार
217-221
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