पुस्तक परिचय
ठाकुर रघुनाथ सिंह सम्याल ( 1885 1963) तहसील साम्बा, जिला जम्मु के एक जागीरदार परिवार में पैदा हुए । उन्होंने औपचारिक शिक्षा केवल आठवीं कक्षा तक ही प्राप्त की लेकिन स्वाध्याय तथा लोकसम्पर्क से उनका व्यक्तित्व निरन्तर निखरता चला गया । स्वभाव से मिलनसार, निर्भीक एवं स्पष्टवक्ता होने के कारण वे जनप्रिय थे । उन्होंने अपना कार्यजीवन एक मिडिल स्कूल में अध्यापन से शुरू किया । बाद में वे पटवारी नियुक्त हुए और विभिन्न स्थानों पर कार्य करते करते तहसीलदार के पद तक जा पहुँचे ।
श्री सन्याल का जीवन डोगरी समाज, साहित्य और संस्कृति के लिए समर्पित था । वे इन क्षेत्रों में कार्य करनेवाली संस्थाओं से सक्रिय रूप से जुड़े रहे । उन्हें डोगरी, पंजाबी, हिन्दी, संस्कृत, उर्दू और फारसी के प्रसिद्ध कवियों के असंख्य पद, श्लोक, छंद और शे र कंठस्थ थे । साहित्य सुजन, विशेषकर काव्य रचना के क्षेत्र में, उन्होंने अपनी प्रौढ़ावस्था में कदम रखा । अरुणिमामें उनकी प्रतिनिधि कविताएँ संकलित हैं । उन्होंने डोगरी, हिन्दी, पंजाबी, उर्दू और फारसी में कविताएँ लिखने के अतिरिक्त गिलगित्ती (शिना) भाषा में एक उपयोगी व्याकरण की भी रचना की । सम्याल कृत श्रीमद्भगवतगीता का डोगरी अनुवाद अत्यन्त लोकप्रिय है । उनकी मृत्यु अठहत्तर वर्ष की आयु में कैंसर से हुई ।
लेखक परिचय
डोगरी की सुपरिचित लेखिका चम्पा शर्मा ने इस विनिबन्ध में कवि सम्याल के जीवन संघर्ष तथा उनके रचनात्मक योगदान का समुचित आकलन किया है ।
अनुक्रम
1
परिचय
7
2
समाज सुधारक
21
3
काव्य कला एवं सर्जना
34
4
गीता अनुवादक के रूप में
43
5
शिना व्याकरण के रचयिता
53
6
उपसंहार
55
चयन
59
8
संदर्भ ग्रंथ सूची
91
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Tantra (तन्त्र) (1023)
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