नम्र-निवेदन
पुराण भारतीय साहित्यकी अमूल्य निधि है । शास्त्रोंने पुराणको पञ्चम वेद माना है । वेदोंके कल्याणकारी सूत्रोंको रोचक कथाओंके रूपमें प्रस्तुत करके मानवमात्रको सन्मार्गकी दिशा प्रदान करनेमें पौराणिक कथाओंका अद्भुत योगदान है । पौराणिक कथाओंमें भक्ति, ज्ञान, सदाचार, वैराग्य, निष्कामकर्म, तीर्थसेवन, यह, दान, तप, देवपूजन आदि शुभकर्मोंमें जनसाधारणको प्रवृत्त करनेके लिये उनके लौकिक और पारलौकिक फलोंका सुन्दर वर्णन किया गया है । पुराणोंमें वर्णित भक्त और भगवान्के लीला-चरित्रोंकी कथा-सुधा सांसारिक वेदनासे संतप्त मनुष्योंके लिये जीवनरूप है । इन कथाओंके पठन-पाठनसे मनुष्यको अपने कर्तव्यका ज्ञान होता है तथा जीवनके परम लक्ष्य भगवद्भक्तिकी सुन्दर प्रेरणा मिलती है ।
सभी पुराणोंका एक साथ पठन-पाठन सामान्य मनुष्यके लिये कठिन है । इसीलिये सबको विभिन्न पुराणोंकी प्रमुख कथाओंका ज्ञान करानेके उदेश्यसे’कल्याण’(वर्ष-६३, सन् १९८९ ई०) में’पुराण-कथाङ्क’का प्रकाशन किया गया था । प्रस्तुत पुस्तक ’पुराण-कथाङ्क’ से संकलित परहितके लिये सर्वस्व त्याग, अतिथि-सत्कार, मौतकी मौत, भक्तका अदभुत अवदान आदि महत्त्वपूर्ण प्रेरक कथाओंका सुन्दर संग्रह है । प्रत्येक कल्याणकामी मनुष्यको इन कथाओंके अध्ययन-मननके द्वारा अपने आत्मकल्याणका पथ प्रशस्त करना चाहिये ।
विषय-सूची
1
परहितके लिये सर्वस्व-दान’
2
अद्भुत अतिथि-सत्कार’
3
मौतकी भी मौत
5
4
प्रतिशोध ठीक नहीं होता’
7
सुनीथाकी कथा’’
11
6
सीता-लुकी-संवाद’
17
सत्कर्ममें श्रमदानका अद्भुत फल’
22
8
नल-दमयन्तीके पूर्वजन्मका वृत्तान्त
24
9
गुणनिधिपर भगवान् शिवकी कृपा’
26
10
कुवलाश्वके द्वारा जगत्की रक्षा’
29
भक्तका अदभुत अवदान’
31
12
मन ही बन्धन और मुक्तिका कारण’
33
13
महर्षि सौभरिकी जीवन-गाथा’
36
14
भगवन्नाम समस्त पापोंको भस्म कर देता है
46
15
सत्यव्रत भक्त उतथ्य’
50
16
सुदर्शनपर जगदम्बाकी कृपा
56
विष्णुप्रिया तुलसी
60
18
मुनिवर गौतमद्वारा कृतघ्न ब्राह्मणोंको शाप’
67
19
वेदमालिको भगवत्प्राप्ति’
71
20
राजा खनित्रका सद्भाव’
75
21
राजा राज्यवर्धनपर भगवान् सूर्यकी कृपा’
78
देवी षष्ठीकी कथा’
82
23
भगवान् भास्करकी आराधनाका अद्भुत फल’
88
गरुड, सुदर्शनचक्र और श्रीकृष्णकी रानियोंका गर्व- भंग’
97
25
कर्तव्यपरायणताका अद्भुत आदर्श’
93
विपुलस्वान् मुनि और उसके पुत्रोंकी कथा’
95
27
राजा विदूरथकी कथा’
100
28
इन्द्रका गर्व - भंग’
104
गणेशजीपर शनिकी दृष्टि’
107
30
आँख खोलनेवाली गाथा’
111
दरिद्रा कहाँ-कहाँ रहती है?’
113
32
शिवोपासनाका अद्भुत फल’
116
शबर-दम्पतिकी दृढ़ निष्ठा’
118
34
कीड़ेसे महर्षि मैत्रेय’
120
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