प्रेम और काम जैसे अति सम्वेदनशील विषयो को केंद्र में रखकर लिखा गया यह उपन्यास मजाक को भी त्रासदी में तब्दील कर देता है | कहीं 'कॉमिक' कामुकता में परिवर्तित होता नज़र आता है, लेकिन जीवन और मर्म की धड़कन निरंतर सुनाई पड़ती रहती है | सत्य, कल्पना और अनुभूति की प्रामाणिकता और भाषा के सहज प्रवाह के चलते कथा पाठक को आधान्त बाँधे रखती है |
अपने विलक्षण लेखन के नाते जाने-जानेवाले मनोहर श्याम जोशी ने एक सामान्य प्रोफ़ेसर को केंद्र में रखकर रचित इस कृति में अपने कथा-कौशल का अद्भुत प्रमाण दिया है | उपन्यास के मुखर स्वरानुसार काम मनुष्य को 'कामुक' से अधिक 'कॉमिक' बनाता है और अस्तित्व को एक कॉमिक-कामुक और कॉस्मिक त्रासदी बना देता है |
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