Easy Returns
Easy Returns
Return within 7 days of
order delivery.See T&Cs
1M+ Customers
1M+ Customers
Serving more than a
million customers worldwide.
25+ Years in Business
25+ Years in Business
A trustworthy name in Indian
art, fashion and literature.

स्वामी सारदानन्द (भगवान श्रीरामकृष्ण के एक प्रमुख शिष्य) - Swami Sardananda (A Main Disciple of Bhagwan Shri Ramakrishna)

$29
Express Shipping
Express Shipping
Express Shipping: Guaranteed Dispatch in 24 hours
Specifications
HAA173
Author: Swami Prabhananda
Publisher: Sri Ramakrishna Math
Language: Hindi
Pages: 473
Cover: Hardcover
9.0 inch X 6.0 inch
670 gm
Delivery and Return Policies
Ships in 1-3 days
Returns and Exchanges accepted with 7 days
Free Delivery
Easy Returns
Easy Returns
Return within 7 days of
order delivery.See T&Cs
1M+ Customers
1M+ Customers
Serving more than a
million customers worldwide.
25+ Years in Business
25+ Years in Business
A trustworthy name in Indian
art, fashion and literature.
Book Description

प्रस्तावना

 

भगवान श्रीरामकृष्ण के एक प्रमुख शिष्य स्वामी सारदानन्द नामक यह चरित्र क्य पाठकों के समक्ष रखते हुए हमें अत्यन्त हर्ष हो रहा है । बंगला में लिखित मूल यन्त्र सारदानन्द चरित के लेखक स्वामी प्रभानन्दजी, रामकृष्ण मठ एवं रामकृष्ण मिशन के सुपरिचित एवं वरिष्ठ संन्यासी हैं तथा साथ ही वे रामकृष्ण संघ के साहित्य तथा भावधारा में गहरी पैठ रखनेवाले गहन चिन्तक तथा लगनशील शोधक भी हैं । प्रस्तुत ग्रन्थ में समकालीन तथ्यों सहित विभिन्न क्षेत्रों तथा व्यक्तित्वों के बारे में अनेक रोचक तथा दुर्लभ जानकारियों से ग्रन्थ की उपादेयता और भी बढ़ी है ।

स्वामी सारदानन्द युगावतार भगवान् श्रीरामकृष्ण के लीलापार्षद शिष्य तथा विश्ववन्ध स्वामी विवेकानन्द के गुरुभाई थे । भगवान् श्रीरामकृष्ण ने अपनी आध्यात्मिक अन्तर्दृष्टि द्वारा स्वामी सारदानन्दजी में विराट उत्तरदायित्वों को कुशलतापूर्वक निभाने की क्षमता देखी थी। तद्नुरूप, परवर्ती काल में प्रतिकूल परिस्थितियों में भी अविचल रहनेवाले धीर, गम्भीर एवं स्थिरबुद्धि स्वामी सारदानन्दजी ने रामकृष्ण मिशन जैसे विशाल संन्यासी संघ के प्रथम महासचिव के रूप में सर्वतोमुखी विकासशील कार्य को आध्यात्मिक आधार देकर निभाया तथा वे भविष्य के लिए उच्च मानदण्ड स्थापित करनेवाले मार्गदर्शक बने ।

इतने व्यस्त जीवन के साथ साथ स्वामी सारदानन्दजी ने श्रीरामकृष्ण की लीलासहधर्मिणी श्रीमाँसारदादेवी की दीर्घकाल तक अतिविनीत भाव से सेवा करते हुए उच्च कोटी के साहित्य का भी सृजन किया । उनकी रचनाओं में विशेषकर श्रीरामकृष्णलीलाप्रसंग नामक ग्रन्थ आध्यात्मिक भावसम्पत्र अमूल्य निधि है ।

अतिव्यस्त रहते हुए भी दैनिक क्रियाकलाप आध्यात्मिक बोधयुक्त तथा भगवतशणागतिपूर्वक किस प्रकार किए जाएँ, यह लेखक ने स्वामी सारदानन्दजी के विस्तृत जीवन द्वारा प्रतिपादित किया है ।

ग्रन्थ के हिन्दी अनुवाद के लिए हम रामकृष्ण मिशन विवेकानन्द आश्रम, रायपुर के स्वामी विदेहात्मानन्द को हृदय से धन्यवाद देते हैं ।

साधकों, भक्तों तथा छोटे बड़े उत्तरदायित्वों को निभानेवाले प्रत्येक वर्ग के लोगों के लिए यह पुस्तक मार्गदर्शक तथा प्रेरणादायक होगी ऐसा हमें विश्वास है ।

 

मूल बंगाली ग्रन्थ का प्राक्कथन

 

रामकृष्ण भाव आन्दोलन भारतीय धर्म तथा संस्कृति के जागरण का एक नवीन स्रोत है । एक राष्ट्र का इतिहास उस राष्ट्र के महापुरुषों का इतिहास ही तो है थॉमस कार्लाइल (१७१५ से १८८१) के इस भावसूत्र का अनुसरण करते हुए यह कहा जा सकता है कि रामकृष्ण भाव आन्दोलन को ठीक ठीक जानने समझने के लिए इस आन्दोलन के प्रधान नायकों की जीवन कथा के साथ घनिष्ठ परिचय आवश्यक है । स्वामी सारदानन्द इस आन्दोलन के धारकों तथा वाहकों में एक प्रधान व्यक्ति थे। उनका जीवनवृत्त श्रीरामकृष्ण, माँ सारदा, स्वामी विवेकानन्द तथा उनके भावादर्श से देदीप्यमान है । उनका जीवन साधन इन्हीं के प्रीत्यर्थ समर्पित था। उपरोक्त भावान्दोलन के विकास तथा विस्तार का उत्तरदायित्व वहन करने के लिए स्वामी सारदानन्द पूर्वनिर्धारित थे । इसके अतिरिक्त श्रीरामकृष्ण तथा स्वामी विवेकानन्द के तिरोभाव के उपरान्त स्वामी सारदानन्द का चरित्र विभिन्न प्रकार के कर्म प्रयासों तथा क्रमविकास के साथ जुड़ा था । नवीन संन्यासियों में त्याग व सेवा के आदर्श से संजीवित जो भावधारा इस समय प्रचलित है, उसे गढ़कर खड़ा करने में स्वामी सारदानन्द का अवदान सर्वविदित है । उनकी श्रेष्ठ साहित्यिक कृति श्रीरामकृष्ण लीलाप्रसंग ग्रंथ में भगवत्प्रेम के कारुण्य विगलित चित्त श्रीरामकृष्ण की अविनाशी मानव कीर्ति की अपूर्व प्रस्तुति उनकी लेखन प्रतिभा का परिचायक है । यह ग्रन्थ एक अमूल्य साहित्यिक सम्पदा है । इस सभी कारणों से श्रीरामकृष्ण, माँ सारदा और स्वामी विवेकानन्द से अलग सारदानन्द चरित्र पर विस्तार से चर्चा का पर्याप्त सम्भावना तथा आवश्यकता है ।

उच्चकोटि के जीवनी साहित्य में दो तत्त्वों के सार्थक मिश्रण की अपेक्षा की जाती है । सर एडमण्ड गोस की भाषा में एक उपादान है मानवात्मा के जीवन अभियान के एक विश्वस्त चित्रांकन की आकांक्षा। और दूसरा है लेखक द्वारा उद्दीष्ट चरित्र के साथ अन्तरंग परिचय, उनके विषय में प्रत्यक्ष ज्ञान और कलात्मक निपुणता। स्वाभाविक रूप से ही द्वितीय उपादान जटिल, परन्तु विशेष रूप से विवेच्य है । उद्दीष्ट व्यक्ति की जीवन कथा की प्रस्तुति तथा व्याख्या करते समय लेखक बहुधा अपनी निरपेक्षता को खो बैठते हैं और रचना के भीतर लेखक के अपने व्यक्तित्व की प्रतिछाया ही प्रलम्बित होती है । दूसरी ओर, उद्दीष्ट व्यक्ति के विषय में जिस लेखक द्वारा प्रत्यक्षदृष्ट तथ्यों का अभाव या उनके साथ घनिष्ठता का अभाव रहता है, उनके मामले में अन्य उपादानों का प्राचुर्य रहने पर भी अन्तर्दृष्टि की संकीर्णता का भय रहता है । वैसे, उसका फल कभी कभी अभिशाप के वेश में वरदान भी सिद्ध होता है । कुशल जीवनीकार के लिए उद्दीष्ट व्यक्ति के आन्तरिक जीवन की ठीक ठीक प्रस्तुति सहजतर हो जाती है । एक वाक्य में कहें तो विषय के प्रति लेखक की निर्भरता तथा निरपेक्षता का सार्थक समन्वय जीवनी रचना को विश्वसनीय तथा सरस बना देता है ।

छोटी बड़ी असंख्य घटनाओं के शिलाखण्डों के रूप में बिखरी लोकोत्तर पुरुष की जीवनचर्या पर विचार करके सत्य के खोजी उन समस्त घटनाओ की सामान्य भावभूमि, यहाँ तक कि सम्भव होने पर उसके सार भाग को ढूँढ निकालने का प्रयास करते हैं । विविधता के भीतर एकता की खोज, विभिन्नता के भीतर ऐक्य की स्थापना आदि श्लाघनीय प्रयास है । परन्तु इसके द्वारा लोकोत्तर चरित्र का सब कुछ पकड़ में आ गया है, ऐसा सोचने का दुस्साहस न करना ही उचित है । अलौकिक देवमानव का चरित्र समझने के लिए मन बुद्धि का प्रयोग बुरा नहीं है, परन्तु उस लोकोत्तर चरित्र का सब कुछ समझ चुका हूँ, लेखक को इस तरह के अभिमान से मुक्त रहने की नितान्त आवश्यकता है स्वामी सारदानन्द की इस चेतावनी को स्मरण करते हुए ही उनकी जीवनी पर चर्चा में अग्रसर होना उचित है । कहना न होगा कि आधुनिक जीवन साहित्य में अलौकिक माहात्म्य स्थापन का अन्धप्रयास निन्दनीय है । परन्तु ईश्वर की देवलीला में विश्वासी होकर भी लेखक द्वारा प्रामाणिक तथ्यों का संकलन तथा व्याख्या का ऐतिहासिक उत्तरदायित्व निर्विवाद्य है ।

इस समय बँगला भाषा में ब्रह्मचारी अक्षयचैतन्य द्वारा रचित स्वामी सारदानन्देर जीवनी और अंग्रेजी भाषा में स्वामी अशेषानन्द के Glimpses of a Great Soul में स्वामी सारदानन्द के विशद चरित्र सम्मार के कई पहलू अत्यन्त सुन्दर रूप से प्रस्फुटित हुए हैं, तथापि सम्भवत निर्भरयोग्य सामग्री के अप्राचुर्य के कारण उस महान् चरित्र का सर्वांगीण रूपायन सम्भव नहीं हो सका। यहाँ हम विलक्षण कर्मयोगी स्वामी सारदानन्द के विषय में श्री माँ सारदादेवी की एक उक्ति उद्धृत करते हैं । श्री माँ ने कहा था, शरत् साधारण ब्रह्मज्ञ नहीं है, शरत् सर्वभूतों में केवल ब्रह्म को ही नहीं देखता, वह सभी नारियों में मुझे देखता है और सभी पुरुषों में ठाकुर को देखता है । शरत् के समान हृदय देखने में नहीं आता, नरेन के बाद ही उसका हृदय है । स्वामी सारदानन्द के विषय में इस मूल्यांकन के तात्पर्य की धारणा करने के लिए उनकी जीवनी के पटभूमि का विस्तार तथा तथ्यों के शोध में गम्भीरता आवश्यक थी । इस अभाव की पूर्ति की आकांक्षा से हम उनके इस बृहत्तर सर्वांगीण जीवनी की रचना में प्रयासी हुए हैं । लगभग तीस वर्ष पूर्व स्वामी प्रेमेशानन्द जी से मुझे इस प्रकार की रचना के लिए प्रथम प्रेरणा मिली । इसके अतिरिक्त परवर्ती काल में मेरे कई गुरुजनों ने नियमित रूप से मुझे इस कार्य में उत्साहित किया तथा प्रेरणा दी, जिनमें से उल्लेखनीय हैं पूजनीय धीरेशानन्द जी, पूजनीय हिरण्मयानन्द जी, मठ तथा मिशन के सहाध्यक्ष पूजनीय गहनानन्द जी, मठ तथा मिशन के महासचिव पूजनीय आत्मस्थानन्द जी, पूजनीय गीतानन्द जी तथा पूजनीय प्रमेयानन्द जी । इनमें से प्रत्येक के प्रति मैं सश्रद्ध कृतज्ञता ज्ञापित करता हूँ ।

शोध, अप्रकाशित उपादान तथा छायाचित्रों के संग्रह तथा पाण्डुलिपि को तैयार करने में अनेक लोगों ने विभिन्न प्रकार से सहायता की है । उनमें से ब्रह्मचारी अक्षयचैतन्य जी, स्वामी प्रबुद्धानन्द जी, स्वामी आदीश्वरानन्द जी, स्वामी सत्यव्रतानन्द जी, स्वामी चेतनानन्द, स्वामी बलभद्रानन्द, स्वामी धर्मरूपानन्द, स्वामी इष्टव्रतानन्द, डी. शचीन्द्रनाथ दरिपा, फणिभूषण खाँटुआ तथा पार्थसारथी नियोगी को मैं विशेष रूप से स्मरण करता हूँ। चित्रकार सुभाष बोस ने मुखपृष्ठ का चित्रण किया है । ग्रन्थकार इनमें से प्रत्येक के प्रति कृतज्ञताबद्ध है ।

विराट् पुरुष स्वामी सारदानन्द जी के चरित्र का माहात्म्य रूपायन करते समय मुझे नियमित रूप से अपनी असमर्थता का बोध हुआ है, परन्तु इतने वर्ष बीत जाने के बाद भी कोई इस विषय में अग्रसर नहीं हुआ है, यह देखकर मैं इस दु साहसिक कर्म हाथ में में लगा हूँ । शतदल कमल की कलिका के खिलने के समान उनके देवमानव चरित्र ने क्रमश प्रस्फुटित होते हुए अपनी सुषमा तथा सौन्दर्य से चारों दिशाओं को आमोदित किया था । इस माधुर्यमण्डित कथा को मैंने यथासाध्य प्रस्तुत करने का प्रयास किया है । इस प्रेरणास्पद चरित्र को पढ़कर पाठक का चित्त यदि रामकृष्ण भावान्दोलन के प्रति और भी आकृष्ट हुआ, तो हम अपने इस क्षुद्र प्रयास को सार्थक मानेंगे।

 

अनुक्रमणिका

स्वामी सारदानन्द रामकृष्ण सरोवर के एक शतदल

1

शतदल पद्य की कलिका

16

सूर्य के आलोक में श्रीरामकृष्ण

27

माँ सारदा

39

स्वामी विवेकानन्द

47

पद्य का प्रस्फुटन कल्मी की बेल का जोड़

62

बन्धन उच्छेद और विमुक्ति का बन्धन

74

तपस्या और पर्यटन

85

फुल्ल शतदल प्रचारक

110

संघरूपी श्रीरामकृष्ण के भारवाहक (१)

134

संघरूपी श्रीरामकृष्ण के भारवाहक ( २)

164

श्री माँ की सृष्टि के सेवक

219

अध्यात्म विज्ञानी

251

शतदल का वैचित्र्य साहित्य सेवक

288

संगीत साधक

318

नवीन सेवादर्श के रूपदाता

331

व्यक्तित्व

354

 रसिक व्यक्ति

399

शतदल झड़ने की ओर

413

प्रासंगिक घटनावली

442

 

</body> </html> **Contents and Sample Pages**
















Frequently Asked Questions
  • Q. What locations do you deliver to ?
    A. Exotic India delivers orders to all countries having diplomatic relations with India.
  • Q. Do you offer free shipping ?
    A. Exotic India offers free shipping on all orders of value of $30 USD or more.
  • Q. Can I return the book?
    A. All returns must be postmarked within seven (7) days of the delivery date. All returned items must be in new and unused condition, with all original tags and labels attached. To know more please view our return policy
  • Q. Do you offer express shipping ?
    A. Yes, we do have a chargeable express shipping facility available. You can select express shipping while checking out on the website.
  • Q. I accidentally entered wrong delivery address, can I change the address ?
    A. Delivery addresses can only be changed only incase the order has not been shipped yet. Incase of an address change, you can reach us at help@exoticindia.com
  • Q. How do I track my order ?
    A. You can track your orders simply entering your order number through here or through your past orders if you are signed in on the website.
  • Q. How can I cancel an order ?
    A. An order can only be cancelled if it has not been shipped. To cancel an order, kindly reach out to us through help@exoticindia.com.
Add a review
Have A Question
By continuing, I agree to the Terms of Use and Privacy Policy
Book Categories