"हजारों वर्षों तक विजित अवस्था में रहने के कारण हमलोग अपना इतिहास भूल गए हैं, कृष्टि भूल गए हैं। समाज के तथाकथित बड़े लोग हमलोगों को जो सिखलाते हैं हमलोग उसी को तोते की तरह सीखते हैं, जो कहते हैं हमलोग वही बोलते हैं। ठीक से पता लगाएँ, जाति के सही इतिहास को खोज निकालें । जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में हमारे पितृ-पितामह ने कितनी उन्नति की थी; इन सारी बातों को कहानी के रूप में सबों के बीच प्रचलित कर दें। माताएँ अपने बच्चों को गोद में लेकर सोते हुए भी यही कहानी कहें, पिता-पुत्र, स्वामी-स्त्री, बन्धु-बान्धव इन सबों के लिए अपने पूर्वपुरुषों की गौरवगाथा ही प्रतिदिन की आलोचना का विषय हो। ये लोग एकदिन कितनी बड़ी सभ्यता, कितनी बड़ी कृष्टि के अधिकारी थे, यह इसी बात को देखकर समझा जा सकता है कि लाख घात-प्रतिघातों के बीच भी यह इतनी बड़ी प्राचीन जाति आज भी टिकी है; एवं सिर्फ टिकी ही नहीं है, बल्कि दुनिया में नित्य नूतन भाव से जीवन के अमर-संदेश को लुटाती हुई आगे बढ़ रही है।.... जब मैं सोचता हूँ कि अभी भी हमारे देश में भगवान् रामकृष्णदेव जैसे विश्वत्राता का आविर्भाव हो रहा है तो मेरा दिल आनन्द से भर उठता है। परमपिता आपलोगों पर सुप्रसन्न हैं; आपलोग उनकी कृपा-दृष्टि में हैं, आपलोगों का विनाश नहीं है, सभी दुष्प्रवृत्तियों का विनाश करने के लिए अविनश्वर होकर इस दुनिया के हृदय में विराजमान रहना होगा। सिर्फ इतना ही याद रखेंगे कि शादी-विवाह की गड़बड़ी के कारण शुभ-संस्कार-सम्पन्न अच्छा अच्छा बीज ही न कहीं नष्ट हो जाए.....।
अपने देश की गौरवशाली ऐतिह्य को स्मरण करते हुए उसे वंशपरम्परा में संचारित करने के लिए यही है परम प्रेममय श्रीश्रीठाकुर अनुकूलचन्द्रजी का अमिय दिशा-निदेश । परम प्रभु के इस दिशानिर्देश के अनुसार ही प्राज्ञ, सुविज्ञ एवम् प्रवीण इष्टप्राण गुरुभ्राता श्री महेश्वर प्रसाद सिन्हाजी ने "सुविवाह और सुप्रजनन" के इस लेख को प्रस्तुत किया है, जो त्रैमासिक हिन्दी पत्रिका 'उद्गाता' में पहले ही धारावाहिक रूप में प्रकाशित हो चुका है। श्रीश्रीठाकुरजी के इस दिशानिर्देश के आलोक में चलकर जन और जाति का सर्वांगीण विकास हो-यही प्रार्थना है।
Hindu (हिंदू धर्म) (12764)
Tantra (तन्त्र) (1023)
Vedas (वेद) (706)
Ayurveda (आयुर्वेद) (1916)
Chaukhamba | चौखंबा (3358)
Jyotish (ज्योतिष) (1476)
Yoga (योग) (1105)
Ramayana (रामायण) (1386)
Gita Press (गीता प्रेस) (729)
Sahitya (साहित्य) (23257)
History (इतिहास) (8311)
Philosophy (दर्शन) (3421)
Santvani (सन्त वाणी) (2585)
Vedanta (वेदांत) (122)
Send as free online greeting card
Email a Friend
Manage Wishlist