पुस्तक के विषय में
सुभद्रा कुमारी चौहान (1904-1948) हिन्दी की ही नहीं अपितु बीसवीं शताब्दी के भारतीय साहित्य की सर्वाधिक यशस्वी कवयित्रियों में गिनी जाती हैं । हिन्दी में उनका नाम महादेवी वर्मा के साथ लिया जाता रहा है यद्यपि उनकी कविता से बिल्कुल भिन्न हैं-एक्। ओर उसमें दैनदिन जीवन तथा जाने-पहचाने मानव-व्यापारों के चित्रण हैं तो दूसरी ओर अदम्य राष्ट्र- प्रेम तथा सामाजिक समस्याओं से संघर्ष भी है । सुभद्रा कुमारी चौहान की भाषा की सादगी तो आज के कवियों तथा समीक्षकों के लिए एक चुनौती बनी हुई है । वह प्राचीन भारतीय ललनाओं के शौर्य की याद दिलाने वाली कर्मठ महिला भी थी और उनकी अनेक कविताएँ भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान लाखों देशवासियों के होठों पर थीं और अब भी हैं । आश्चर्य नहीं कि हिन्दी के महानतम कवि निराला तथा मुक्तिबोध भी सुभद्रा कुमारी चौहान के प्रशंसक थे ।
लेखक परिचय
प्रस्तुत विनिबंध में स्वयं सुभद्रा कुमारी चौहान की सुपुत्री श्रीमती सुधा चौहान ने कवयित्री के जीवन तथा कृतित्व का अंतरंग विश्लेषण अत्यंत सरल तथा मार्मिक ढंग से किया है और पाठकों के सम्मुख सुभद्रा जी का संपूर्ण जीवंत चित्र प्रस्तुत किया है ।
For privacy concerns, please view our Privacy Policy
Hindu (हिंदू धर्म) (12551)
Tantra ( तन्त्र ) (1004)
Vedas ( वेद ) (708)
Ayurveda (आयुर्वेद) (1902)
Chaukhamba | चौखंबा (3354)
Jyotish (ज्योतिष) (1455)
Yoga (योग) (1101)
Ramayana (रामायण) (1390)
Gita Press (गीता प्रेस) (731)
Sahitya (साहित्य) (23143)
History (इतिहास) (8257)
Philosophy (दर्शन) (3393)
Santvani (सन्त वाणी) (2593)
Vedanta ( वेदांत ) (120)
Send as free online greeting card
Email a Friend
Manage Wishlist