सितार सबसे लोकप्रिय वाद्य है! बीसवीं शताब्दी के उत्तरार्ध्द में रवि शंकर, विलायत खां, और निखिल बैनर्जी जैसे उस्तादों ने इसे तकनीक और विषय-वास्तु कि दृष्टि से इतना मालामाल कर दिया की चारों और इसका डंका बजने लगा ! ज्यादातर युवा, सितार-वादक बनने का ख्वाब देखने लगे! हिन्दुस्तानी संगीत सितार के कन्धों पर चढ़कर विश्व विजय को निकल पड़ा और वहां पहुंचकर पश्चिमी संगीतज्ञों तक को इसने अपना मुरीद बना लिया! दुर्भाग्य की बात है की ऐसे अद्भुत वाद्य पर अभी तक बहुत काम चिंतन हुआ है! जो कुछ हुआ भी है वह प्राय: सतही नज़र आता है! रजनी जी के अध्ययन स्वभाव में गंभीरता है! सितार सम्बन्धी उनके कुछ लेख मै पहले भी देख चूका हूँ ! ईमानदारी से वह कार्य करती है और विज्ञानिक निष्कर्षों तक पहुचने की कौशिश करती है! इस ग रणथ की विषय-सूचि देखने से अनुमान होता है की सितार के विभिन्न पक्षों पर लेखिका ने भलीभांति मनन किया है! सितार-वादन के बज और शैलियों पर इतने विस्तृत रूप में निश्चय ही यह महत्यपूर्ण अध्ययन साबित होगा! लेखिका को मेरी बधाई और मंगल कामनाएँ
For privacy concerns, please view our Privacy Policy
Hindu (हिंदू धर्म) (12583)
Tantra ( तन्त्र ) (1014)
Vedas ( वेद ) (706)
Ayurveda (आयुर्वेद) (1903)
Chaukhamba | चौखंबा (3353)
Jyotish (ज्योतिष) (1457)
Yoga (योग) (1101)
Ramayana (रामायण) (1388)
Gita Press (गीता प्रेस) (731)
Sahitya (साहित्य) (23147)
History (इतिहास) (8260)
Philosophy (दर्शन) (3396)
Santvani (सन्त वाणी) (2590)
Vedanta ( वेदांत ) (120)
Send as free online greeting card
Email a Friend
Manage Wishlist