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प्रेमचंद के उपन्यासों में सामाजिक चेतना- Social Consciousness in Premchand's Novels

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Item Code: HBC302
Author: Jai Prakash Pandey, Shiv Kumar Vishwakarma
Publisher: Satyam Publishing House, New Delhi
Language: Hindi
Edition: 2024
ISBN: 9789359092966
Pages: 141
Cover: HARDCOVER
Other Details 9.00 X 6.00 inch
Weight 310 gm
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Book Description
लेखक परिचय
डॉ० जय प्रकाश पाण्डेय, हिन्दी विभागाध्यक्ष, संत जेवियर्स कॉलेज, राँची।

जन्म तिथि- 23.02.1961 (तेईस फरवरी, उन्नीस सौ एकसठ)

स्थायी निवास माल्डा पाण्डेयडीह, पो०-माल्डा, जिला-गिरिडीह (झारखण्ड)।

वर्तमान पता-डी 5-3 एच सेल सिटी, राँची 834007 विशेष उपाधियाँ विद्या वाचस्पति (1991). साहित्य श्री (1994), विद्या सागर (2001), जय शंकर प्रसाद पुरस्कार, अखिल भारतीय विद्वत परिषद् वाराणसी से (2011) विशेष सम्मान अटल शिक्षा रत्न सम्मान (2023)।साहित्यिक उपलब्धियाँ 1. दयानाथ लाल की काव्य चेतना (1996). 2. पंत का काव्य विकास (1999), 3. सुमित्रा नंदन का पंत जीवनवृत्त एवं काव्य सृजन (2012). 4. आधुनिक जनसंचार माध्यमों में हिन्दी (2015.) 5. आधुनिक हिन्दी काव्य का सांस्कृतिक विमर्श (2016), 6. सामासिक संस्कृति और बीसवीं शताब्दी का हिन्दी महाकाव्य (2016), 7. आधुनिक हिन्दी कविता में धर्म और सम्प्रदायवाद (2017), 8. कोश विमर्श (2018). 9. विश्वनायक नरेन्द्र मोदी (2019). 10. प्रशासनिक हिन्दी (सिद्धांत और प्रयोग). 11. रीतिकाल चिंतन और विश्लेषण (2021), 12. छायावाद: तथ्य और कथ्य (2021), 13. आत्मानुभूति के विविध आयाम (2022). 14. महारथी कर्ण (2022), 15. नाटक के विविध आयाम (2022). 16. छायावाद और प्रकृति प्रेमी 'पंत' (2022), 17. उन्मुक्त गगन के कवि शिवमंगल सिंह 'सुमन' (2022), 18. नैतिक चिंतन व्यावहारिक ज्ञान (2023), 19. महाप्राण निराला और छायावाद (2024), 20. प्रेमचंद के उपन्यासों में सामाजिक चेतना (2024). 21. मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम (2024)1 अनेक पुस्तकों एवं पत्र पत्रिकाओं में अस्सी से अधिक समीक्षात्मक एवं शोधपरक लेख, कविताएँ, लघुकथाएं एवं नाटक प्रकाशित ।

डॉ॰ शिवकुमार विश्वकर्माजन्म तिथि : 10.01.1966पिता : स्व० जगनारायण विश्वकर्मा माता : श्रीमती सुन्दरकली देवीस्थायी पता : राजढोली, जपला, पलामू ।वर्तमान पता : विश्वकर्मा नगर, छतरपुर रोड, जपला, पलामू, झारखण्ड-822116 (भारत)।शैक्षणिक योग्यता : एम० ए० (द्वय), हिन्दी, समाजशास्त्र, पीएच० डी० (2017)।सम्प्रति : हिन्दी विभाग, ए० के० सिंह महाविद्यालय, जपता, पलामू।मोबाईल : 9304669151

मन की बात
हिन्दी साहित्य के प्रगतिशील धारा के उल्लेखनीय रचनाकारों में कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद समाज और साहित्य के अंधकार से लड़ने वाले उपन्यासकार रहे हैं। विश्व प्रसिद्ध उपन्यास लिखने वाले प्रेमचंद ने समाज और साहित्य को नई दिशा प्रदान की है। उनके उपन्यासों में सामाजिक चेतना का यथार्थवादी दृष्टिकोण रेखांकित हुआ है। वर्ग-संघर्ष की चेतना उनके उपन्यासों का मूल स्वर है। उनकी अन्तर्दृष्टि अत्यंत गहरी रही है, जिसके कारण वे अभावों और गरीबी लाचारी को झेलते हुए भी कभी साहित्य-सृजन से विचलित नहीं हुए हैं। आज का समय सामाजिक संकटबोध का है। वस्तुतः सम्वेदनाहीन स्थिति समाज और साहित्य के लिए घातक और अहितकर है। बदलते मूल्यों में बाजारवाद का प्रभाव साहित्य पर भी पड़ रहा है। ऐसे में प्रेमचंद के उपन्यासों के अध्ययन से दिशा बोध मिल सकता है। ग्राम्य जीवन तो उनके उपन्यासों का सबसे महत्त्वपूर्ण हिस्सा रहा है, जिसमें ग्रामीण समाज में व्याप्त समस्त रूढ़ियों, परम्पराओं, छुआछूत, अंधविश्वास आदि का सजीव चित्रण मिलता है। हिन्दी में राजनीतिक उपन्यासों का अभाव नहीं है, लेकिन प्रेमचंद की 'कर्मभूमि' राजनीतिक विचारधारा एवं जीवंत स्थितियों के चित्रण के लिए सदा-सर्वदा रेखांकित किया जाता रहेगा। जाति-भेद, वर्ग-भेद जैसी सामाजिक समस्याओं को दूर करने और सच्ची मानवता स्थापित चंद ने ही किया है।

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