भारत एक कृषि प्रधान देश है और किसान हमारे अन्नदाता। कृषि प्रधान देश की शान को बरकरार रखने तथा किसानों को खुशहाल बनाने के लिए सरकार ने सुशासन के नए आयामों कृषि क्षेत्रों मं नवाचारों एवं सुधारवादी दृष्टिकोण से एक आधुनिक एवं भविष्योन्मुखी भारत की नींव रखी है। देश की कृषि उन्नति के लिए की गयी नयी पहलों में से "स्मार्ट कृषि" ग्रामीण क्षेत्र के जीवन स्तर में गुणात्मक परिवर्तन लाने का सशक्त प्रयास है। सतत बढ़ती जनसंख्या के लिए खाद्य सुरक्षा, पौष्टिकता, और जलवायु परिवर्तन हमारे समक्ष बड़ी चुनौतियां है।
बीते दशक के दौरान भारतीय उद्योग जहां लगातार उत्साहवर्धक वृद्धि कर रहे थे, वही भारतीय कृषि की स्थिति यथावत बनी रही। पूर्ववर्ती सरकार ने अनेक उपाय किए किंतु परिणाम संतोशजनक नहीं रहे। यह आश्चर्यजनक इसलिए भी कहा जाएगा क्योंकि वर्ष 2008 को छोड़कर इस पूरी अवधि में मानसून लगातार अनुकूल बना रहा और यह दशक नियमित वर्षा वाली कुछ लंबी अवधि ायों में शुमार किए जाने लायक दशक बना। इस अनुकूल आरंभिक स्थिति के बावजूद कृषि क्षेत्र की विकासदर अल्प बनी रही। कृषि विकास के विभिन्न चरणों में कई तरह प्रयास किए गए। लेकिन इस क्षेत्र में सार्वजनिक निवेश स्थिर बना रहा।
मंदी के वर्षों में ग्रामीण भारत की उपभोक्ता वस्तुओं की मांग हमारे भारतीय उद्योगों को स्थिरता और ताकत प्रदान करने वाली रही है। जो कृषि उत्पादकता में वृद्धि से ही संभव हो सकती है। खाद्य उत्पादों की कीमतों में बढ़ोत्तरी को कम करेन के लिए कृषि क्षेत्र में समुचित निवेश तथा उत्पादकता में वृद्धि की आवश्यकता होती है।
स्मार्ट कृषि तकनीकी के द्वारा भारतीय कृषि की उत्पादकता व उसकी गुणवत्ता में भारी सुधार की संभावना है। मौसम की प्रतिकूलता तथा तकनीकी ज्ञान के अभाव के कारण आज हमारे अधिकतर किसान उन्नत कृषि से वंचित रह जाते है। लेकिन विगत कुछ वर्षों से कृषि क्षेत्र में व्यापक बदलाव आया है।
कृषि क्षेत्र में क्रांति का समय अब आ गया है। इसका एक सर्वाधि एक महत्वपूर्ण अवयव संभवतः स्मार्ट कृषि की योजना है। सरकार पहले ही यह संकेत दे चुकी है कि वह सूखाग्रस्त इलाकों इलाकों और पूर्वी भारत के उर्वर किंतु अल्प प्रयुक्त खेतों से इसकी शुरुआत करना चाहती है। देशभर में यह बहस पहले से चल रही है कि उत्पादकता में ऐसी वृद्धि के लिए क्या अनिवार्यतः जैविक रूप से परिवर्द्धित फसलों की ओर उन्मुख होना आवश्यक है। तेजी से बढ़ती आबादी, उन्नत फसल की मांग, प्राकृतिक संसाधनों का समुचित एवं कुशलतापूर्वक उपयोग, सूचना एवं संचार तकनीकी के बढ़ते उपयोग के कारण स्मार्ट एवं टिकाऊ कृषि विकास आवश्यक है। कृषि के क्षेत्र में आज नई तकनीकी के प्रयोग के लिए निरन्तर प्रयास किए जा रहे हैं। इससे न केवल खेती की लागत कम होगी, बल्कि किसानों की सुविधाएं बढ़ेगी तथा उनकी आय में भी वृद्धि होगी। सरकार द्वारा किए जा रहे निरन्तर नए-नए प्रयास इस क्षेत्र में बड़े बदलाव का स्पष्ट संकेत है। निश्चित रूप से इससे हमारे बदलते भारत की नयी तस्वीर परिलक्षित हो रही है। तेजी से बढ़ रही जनसंख्या को भोजन उपलब्ध कराने हेतु समुचित खाद्यान्नों की पूर्ति आसन्न जरूरत है।
आज युवा व किसान परंपरागत खेती के बजाय अब सेंसर, रोबोटिक्स, डेटा विश्लेशण, ड्रोन पद्धति आदि नवीन तकनीकी आध् शारित स्मार्ट कृषि की तरफ तेजी से आकर्शित हो रहे हैं।
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