पं. बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' प्रेम के अनन्योपासक स्वच्छन्द कवि है। मानव जीवन की विभिन्नताएँ उनके मन की सहज रागात्मकता का विश्लेषण करती है। मानव के रागी जीवन हृदय का सफल और सजल चित्रण उनके गीतों की विशेषता है। प्रेम, वासना, कर्तव्य और निष्ठा उनके लिए अलग से बाँटकर देखने की चीज नहीं है। नवीन जी उन कलाकारों में से हैं, जिनके जीवन और साहित्य में तादात्मयता मिलती है। वे काल्पनिक प्रेम के पोषक नहीं है, वे प्रेम की वाह्य और आंतरिक सीमा को छूते है। मानसिक प्रेम को स्वीकार करते हुए आप मौलिक प्रणय के क्षेत्र में भौतिक और देहिक भावना का त्याग नहीं करते। अपितु मौलिक रति व्यापार में जो अनिष्ट दिखाई पड़ता है उसे हटाकर शाश्वत आनन्द विधान को स्वीकार करते है। 'कवि कुछ ऐसी तान सुनाओ' जैसी राष्ट्रीय प्रेम से ओत-प्रोत रचना करने वाले कवि के काव्य की मूल चेतना में शृंगार है। उनके प्रेम भाव में अलमस्त जीवन का स्वर है, काव्य में मांसलता है। प्रेम का इन्द्रिय पक्ष शाक्तिशाली है। तथापि भक्त की आस्था और ज्ञानी की आध्यात्मिकता भी उसके प्रेम गीतों की विशेषता है। कवि के रससिद्ध रूप को सामने लाने का ही मेरा वित्रम प्रयत्न रहा है।
नवीन के ऊपर कार्य करने की प्रेरणा मुझे आदरणीया डॉ. सुधा रानी पाण्डेय से प्राप्त हुई। पुस्तक पूर्ण होने में समय-सीमा अधिक रही। इन पड़ावो पर मेरा साथ डॉ. ममता सिंह ने सदैव दिया। राहुल मोहन मेरे प्रेरणा स्त्रोत रहे हैं। आकाँक्षा अर्पित ढाका ने समय-समय मेरा मार्ग दर्शन किया।
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