श्री गणपति विद्याके देवता, विघ्नहर्ता हैं, उनकी आराधना सर्वत्र की जाती है । अथर्वशीर्ष एवं संकष्टनाशनस्तोत्र, दोनों स्तोत्र अधिक प्रचलित हैं, वे इस लघुग्रन्थमें अर्थसहित दिए गए हैं।
अधिकांश लोगोंको देवतासे सम्बन्धित जो थोडा-बहुत ज्ञान रहता है, वह बचपनमें पढी अथवा सुनी गई कहानियोंद्वारा होती है। इस अल्प ज्ञानके कारण देवतापर विश्वास भी अल्प ही रहता है । देवताओंसे सम्बन्धित अधिक ज्ञान विश्वासकी वृद्धिमें सहायक होता है, जिससे साधना भी उचित पद्धतिसे होती है । इस दृष्टिकोणसे इस लघुग्रन्थमें श्री गणपतिसे सम्बन्धित, प्रायः अन्यत्र न पाया जानेवाला उपयुक्त अध्यात्मशास्त्रीय ज्ञान दिया है । गणपतिसे म्सम्बन्धित अध्यात्मशास्त्रीय दृष्टिकोणसे विस्तृत ज्ञान सनातनके ग्रन्थ 'श्री गणपति' में दिया गया है । देवतासे सम्बन्धित ज्ञानके साथ ही अध्यात्मशास्त्रीय ज्ञान होनेपर साधना भली प्रकारसे होती है । इसके लिए सनातनके अध्यात्मशास्त्रका ज्ञान देनेवाले ग्रन्थ एवं लघुग्रन्थ उपलब्ध हैं ।
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