पुस्तक परिचय
देश विदेश के प्रबुद्ध पाठकों, जिज्ञासु छात्रों एवं अन्यान्य आगंतुकों के प्रबल तथा अनवरत आग्रह पर 'शनि दशा दिग्दर्शन' शीर्षकित शोध प्रबंध प्रस्तुत है! इसमें नवग्रह व्यवस्था के सर्वाधिक रहस्यमण्डित, महाकाय महाकाल तिमिरकार शनि के आचरण तथा दशा, अंतदर्शा के अतिरिक्त शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या आदि के प्रकरण का अनुशंधनात्म&# 2325; विवेचन, विश्लेषण के साथ-साथ गोचर शनि के भरमन द्वारा जीवन में होने वाली घटनाओं का सम्यक, सटीक पूर्वानुमानके अद्भुत और अनुभूत सिध्दान्त समायोजित किये गए है, जो पूर्णता सत्य एवं सटीक फलादेश करने में चमत्कृत कर देने वाले परिणाम प्रदान करते है!
शनि दशा दिग्दर्शन मुख्यत छ: पृथक-पृथक अध्ययनम में विभाजित व्याख्यायितहै, जिनके नाम है- १. शनि: बहुमुखी विश्लेषण, २. शनि दशा दिग्दर्शन, ३. गोचर शनि प्रसंग , ४. शनि: समय का संचालक, ५. सटीक फलादेश में सहायक गोचर शनि के विलक्षण सिध्दान्त, तथा ६. शनि की साढ़ेसाती का संत्रास !
दशाफल पर केंद्रित अंके ग्रन्थ उपलब्ध है जिनमें सहस्त्रों वर्ष पूर्व प्रतिपादित प्रतिष्ठित सिद्धदांतोंके ही पुर्नरावृत्&# 2340;ि हुई है,सम्प्रति ज्योतिष शास्त्र मेंबढ़ती हुई अभिरुचि को ध्यान में रखते हुए अनिवार्यता है, पृथक-पृथक ग्रहों पर संशोधित परिमार्जित, रूपांतरित दशाफल पर केंद्रित अध्ययन, अनुभव और अनुसंधान की !
अस्तु, दशाफल पर केंद्रित इस शोध श्रृंखला के प्रथम सुरभित सोपान के रचयिता है- पचपन बृहद शोधप्रबन्धो&# 2306; तथा शनिग्रह से संदर्भित दस कृतियों के लेखक श्रीमती मृदुला एवं टी. पी . त्रिवेदी! ज्योतिष जगत के लिए शनि दशा दिग्दर्शन एक स्वर्णिम अध्याय सिध्द होगा. इसमें किंचित संदेह नहीं है
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