व्यंग्य साहित्य की एक ऐसी विधा है जिसके आइने में हम अपने समाज में व्याप्त विसंगतियों और अन्तर्विरोधों के अक्स को साफ-साफ और हूबहू देख पाते हैं। समकालीन समाज के लगभग सभी क्षेत्रों में मानवीय मूल्यों, आदर्श और संवेदनाओं में हो रहे क्षरण और विघटन को काल्पनिक पात्रों और चरित्रों के माध्यम से हमारे सामने रखने का व्यंग्यकार प्रयास करता है। व्यंग्य में परिलक्षित कसक, पीड़ा, छटपटाहट पाठक की संवेदना को छूती भी है और सहलाती भी है। व्यंग्य और व्यंग्यकार का मन्तव्य चोट पहुँचाने के बजाय चोट करना होता है। खालीपन और खोखलेपन पर प्रहार करते हुए व्यंग्य इंसानी तकाज़ों और मूल्यों में आई गिरावट पर चिन्ता और चिन्तन करने का जरिया होता है। व्यंग्य वह सब कुछ दिखा सकता है जिसे देखने से परहेज़ और गुरेज़ करना हमें जचने और रूचने लगता है।
साहित्य की किसी भी विधा की तरह व्यंग्य का सृजन भी एक साधना है। यह साधना व्यंग्यकार अनुभव और संवेदनशीलता से जुड़कर करता है। व्यंग्यकार निरपेक्ष और पूर्वाग्रहों से मुक्त रहते हुए पाठकों को अपनी पीड़ा और चुभन का अहसास कराता है और व्यंग्य में निहित संदेश के प्रति पाठकों की सहमति और समर्थन की अपेक्षा भी करता है। प्रस्तुत व्यंग्य संग्रह की प्रासंगिकता और सार्थकता पर निर्णय करना सुधी पाठकों का ही अधिकार है।
जाने-अनजाने, पहचाने-अनपहचाने जिन कमजोरियों में हम जी रहे हैं, "सावधान. काजोर है" में लेखक की समझ और पकड़ मज़बूत लगती है। जिस भाषा, शैली और मुहावरों का प्रयोग इस व्यंग्य संग्रह में किया गया है, उससे व्यंग्य का पैनापन और चुटीलापन ज्यादा नुकीला और धारदार प्रतीत होता है। बेबाक और बेसाख़्ता कही गयी बातें इस व्यंग्य संग्रह की विशेषता मानी जा सकती है। मर्यादा और शालीनता का कहीं उल्लंघन हुआ हो ऐसा नहीं लगता। व्यंग्य लेखों का संदेश यदि कोई पाठक आत्मसात कर पाता है तो यह व्यंग्य की उपलब्धि और व्यंग्यकार के गर्व का सबब हो सकता है। पाठकों की संवेदनशीलता को यह संग्रह जैसे और जितना छू पाता है और उनकी संवेदनशून्यता को भर पाता है यही इस संग्रह की सार्थकता का परिचायक होगा।
"सावधान......... कमजोर है" व्यंग्य संग्रह को प्रकाशित करने की अनुमति के लिए रामपुर रजा लाइब्रेरी, रामपुर की पब्लिकेशन कमेटी के प्रति आभार व्यक्त करना मेरा कर्तव्य है।
मैं इस पुस्तक के प्रकाशन के लिए महामहिम् श्री टी०वी० राजेस्वर, राज्यपाल, उत्तर प्रदेश एवं अध्यक्ष, रामपुर रज़ा लाइब्रेरी बोर्ड और सदस्य पब्लिकेशन समिति का आभार व्यक्त करता हूँ, जिसने इस पुस्तक को छापने की स्वीकृति प्रदान की। मैं माननीया श्रीमती अंबिका सोनी, केन्द्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री, भारत सरकार तथा श्री के० बादल दास, सेक्रेटरी, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार का भी शुक्रिया अदा करता हूँ जिन्होंने रामपुर रजा लाइब्रेरी पब्लिकेशन के लिये उचित ग्रान्ट दी। इसके अलावा रज़ा लाइब्रेरी के लाइब्रेरी एण्ड इन्फारमेशन आफिसर डा० अबूसाद इस्लाही, सुश्री मोहिनी रानी और श्रीमती बिलकीस फारूकी का भी शुक्रिया अदा करता हूँ जिन्होंने किताब छपवाने में मेरी मदद की।
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