दहेज दानवों का असली चेहरा आपको इन कहानियों में देखने को मिलेगा। पति-पत्नी के बीच प्यार नहीं परन्तु दहेज ही प्रमुख है। मानव चकाचौंध की दुनिया में अंधा हो निरन्तर अदना होता जा रहा है, उसकी सोच तुच्छ होती जा रही है। मनुष्य को गागर की तरह असीम और अपार वनने का प्रयास करना चाहिए।
जन्म स्थान : गाँव व पोस्ट नॅगल विहाली, तहसील-दसुआ, जिला-होश्यारपुर (पंजाब)
जन्म तिथि: 9-9-1942
शिक्षा: आजीवन एफ.आई.ई. चार्टर्ड अभियंता (भारत), आजीवन एम.आई. आर.टी (भारत), आजीवन सदस्य भारतीय ज्योतिष विज्ञान संगठन ।
साहित्य यात्रा: (1) अध्यात्मिक/ज्योतिष,
पत्रिकाओं में पराविद्या एवम् ज्योतिष में अनेक लेख ।
(2) रेल राजभाषा तथा मानक रश्मि में अनेक कहानियाँ प्रकाशित ।
(3) तीन वर्षों तक 'मानक रश्मि' का संपादन।
(4) सप्तरंगी कहानियाँ (कहानी संग्रह)
सम्मान : (1) ज्योतिष में मौलिक अनुसंधान पर अनेक मानद उपाधियों एवं पदकों से सम्मानित ।
(2) अन्तर्राष्ट्रीय ज्योतिष सम्मेलन, जोधपुर से बेस्ट एस्ट्रोलोजर - 1986 ।
(3) भारत गौरव स्वर्ण पदक प्राप्त-2005 ।
(4) राजीव गांधी एक्सीलेन्स अवार्ड-2009 ।
सम्प्रति : भूतपूर्व उपनिदेशक, अनुसंधान निदेशालय, आर.डी.एस.ओ., रेल मंत्रालय, मानक नगर, लखनऊ ।
मुझे इस धरती पर कहीं भिक्षा-पात्र पकड़े दहेज दानव, तो कहीं भ्रष्टाचार में लिप्त श्री सिंघल और कहीं सजात मुखोपाध्याय जैसे अनेकों काग-दृष्टि दानव दिखाई देते हैं। मुझे तलाश है इकबाल मामा जैसे महान मानवों की, पंडित वासुदेव शर्मा जैसे मार्ग दर्शकों की, जो शिक्षक बन कर समाज को संस्कृति की धरोहर देकर उसका उत्थान करें।
इन शुभचिंतकों में सर्वप्रथम डॉ. श्रीमति प्रेम सुमन शर्मा रीडर, हिन्दी तथा आधुनिक भारतीय भाषा विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ का आभार व्यक्त करता हूँ जिन्होंने इन कहानियों की पाण्डुलिपि को प्रस्तुतीकरण के योग्य बनाया तथा इन कहानियों को प्रकाशित करवाने के लिए उत्साहित किया।
इसके साथ-साथ मैं श्री महेश चन्द्र मोटवानी, संयुक्त निदेशक राजभाषा, रेल मंत्रालय, रेलवे बोर्ड का भी आभार व्यक्त करता हूँ जिन्होंने इन कहानियों के प्रकाशन के लिए यथोचित प्रयास किया। श्रीमति सुषमा अग्रवाल का भी आभारी हूँ जिन्होंने भी प्रकाशन में महत्त्वपूर्ण सहयोग दिया।
तदोपरान्त् सूर्यप्रभा प्रकाशन के प्रकाशक डॉ. महेन्द्र शर्मा 'सूर्य' जी का भी आभार व्यक्त करता हूँ जिन्होंने इस पुस्तक को मूर्तरूप देकर प्रकाशित किया।
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