भारतीय पुराकथा पर आधारित इस त्रि-अंकी नाटक में देव, दानव, मानव की राजसत्ता की कामना और उसके पीछे होने वाले छल की कथा, शुक्राचार्य के औषधीय रासायनिक आविष्कारों के प्रयोग के साथ प्रस्तुत की गई है। नव्य आविष्कार जन कल्याण का मार्ग श्री होड़कर अविष्कार संपत्ति हासिल करने का मार्ग पकड़ते हैं, तो निर्दोष और निष्पाप लोगों की बलि चढ़ती है, यह व्यंजना इस नाटक की पूर्वपीठिका में प्रतिबिंबित होती है। शुक्राचार्य के पास संजीवनी विद्या होने के कारण, देव और दानवलोक में राज्य-शासन के लिए अनेक षडडंत्र हुए। देवयानी इस प्रकार के सत्ता केन्द्रित छल का लगातार शिकार होती रही और उसका जीवन छिन्न-भिन्न हो गया। कच का छलपूर्ण प्रेम और ययाति के साथ छलपूर्ण सहजीवन उसे अपने पिता के आविष्कारों से ही मिलने वाली दुःखद भेंट है।
संगीत-नृत्य का समन्वय होने के कारण नाटक गद्य मात्र न रहकर संगीत नाटक अथवा पद्यनाटक की अनुभूति भी कराता है। मृदंग नाद और वृंदगान के साथ नाटक के प्रारंभ में वनकन्याओं द्वारा प्रकृति के प्रतिरूप के समान नृत्य, कच-देवयानी का प्रेमपूर्ण आश्रम-निवास, अरण्य या फिर नदी के किनारे उनका विहार, दानवों द्वारा उत्सव का आयोजन, नृत्य के माधयम से शर्मिष्ठा-ययाति का मिलन आदि प्रसंग संगीत-ध्वनि के साथ नृत्यनाटड सम्मिश्रित लय के साथ प्रस्तुत होते हैं। यह दृश्य संगीत-नृत्य की संगत में भावाभिव्यक्ति के लिए अभिनेता और दिग्दर्शक को अवकाश प्रदान करते हैं। नाटक में, पुराकथा में निहित शाप-अभिशाप का आविष्कार में परिवर्तन हुआ है। यहाँ एक ऋषि के शाप से कुछ भी चमत्कारिक रूप से बदल नहीं जाता। पुराकथा के शाप-अभिशाप के कथानक को इस नाटक में औषधीय रसायन के आविष्कार के तौर पर दर्शाया गया है। नाटक की प्रस्तावना में भारतीय वैदिक काल से अष्टांग आयुर्वेद के रसायन विज्ञान की बात से लेकर संजीवनी जड़ीबूटी के साथ जुड़े हुए रामायण सहित अनेक कथा संदर्भों की चर्चा की गई है। वरदान-अभिशाप आदि को यहाँ एक आविष्कार के रूप में वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ निरूपित किया गया है, जो इस नाटक को एक नया आयाम प्रदान करता है। इस नाटक में शाप-अभिशाप का आविष्कार में परिवर्तन करके एक पुराकथा में नया आविष्कार हुआ है।
राजेश्वरी पटेल
गुजराती भाषा में नाटक, निबन्ध एवं कहानी सर्जन तथा संशोधन
और आलोचनात्मक लेखन।
आसिस्टन्ट प्रोफेसर
स्नातकोत्तर गुजराती विभाग, सरदार पटेल विश्वविद्यालय, वल्लभ
विद्यानगर।
रचनाएँ
1. 23... फायर (संस्मरणात्मक)
2.संजीवनी जल-छल (गुजराती नाटक)
(गुजरात साहित्य अकादमी, गांधीनगर का श्रेष्ठ नाटक पुरस्कार, कुमार फाउन्डेशन का चन्द्रवदन ची. महेता नाटक पुरस्कार)
3. लहरों के राजहंस (मोहन राकेश के नाटक का गुजराती अनुवाद) (गुजरात साहित्य अकादमी, गांधीनगर का श्रेष्ठ अनुवाद पुरस्कार, विश्व भारती संस्थान का अनुवाद पुरस्कार)
4. मेकबेथ (शेक्सपियर के नाटक का गुजराती अनुवाद)
5. गुजराती पौराणिक नवलकथाएँ (संशोधन) (गुजरात साहित्य अकादमी, गांधीनगर का श्रेष्ठ संशोधन पुरस्कार)
6. चार डायस्पॉरा कवयित्री (संशोधन)
7. गांधारी (परिचय पुस्तिका)
8. देवयानी (परिचय पुस्तिका)
9. अवगाहन (आलोचन)
10. 20 काव्य-आस्वाद (आस्वाद)
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