जुलाई, अगस्त व सितंबर- 2024 की तिमाही तीन प्रमुख राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर की घटनाओं के कारण अपना विशिष्ट महत्व रखती है। पहला, पेरिस (फांस) में ओलंपिक खेलों का आयोजन, दूसरा भारतीय गणतंत्र की स्वतंत्रता के 78 वर्ष पूर्ण होना और तीसरा स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात 14 सितंबर 1949 को भारत के संविधान के अनुच्छेद 343 के अंतर्गत देवनागरी में लिखित हिंदी को संघ की राजभाषा का दर्जा प्राप्त होना।
ओलंपिक विश्व की खेल बिरादरी के लिए वह मंच एवं अवसर उपलब्ध कराता है जिसके जरिए वे अपनी खेल प्रतिमा एवं क्षमताओं का उत्कृष्ट से उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए विश्वविख्यात होने के अलावा अपने देश का गौरव बढ़ाते हैं। खेल प्रतिस्पर्धा एक ऐसा माध्यम है जो विश्व में भ्रातृत्व भाव, अंतरराष्ट्रीय मैत्री एवं सौहार्द स्थापित करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान करते हैं।
खेलों की अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता ओलपिक हमें स्मरण कराता है कि प्रतिस्पर्धा में जीत के मुकाबले हार के अवसर भले ही ज्यादा होते हैं लेकिन दोनों को ही हमें निस्पृह भाव से शिरोधार्य करना चाहिए, जैसा कि छायावादी कवि सुमित्रानंदन पंत जीवन को परिभाषित करते हुए लिखते हैं- सुख-दुख के मधुर मिलन से, यह जीवन हो परिपूरन।
फिर शशि से ओझल हो घन, फिर घन में ओझल हो शशि ।।
पेरिस ओलंपिक खेलों (2024) में भारतीय खिलाड़ियों का प्रदर्शन भले ही उस स्तर का न रहा हो जैसा कि अमरीका, फ्रांस, चीन, नीदरलैंड व क्यूबा आदि देशों का। भारतीय खिलाड़ियों ने इस ओलपिक में कुल छह पदक प्राप्त किए हैं- एक रजत और पाँच कांस्य, जिसे टोक्यो ओलंपिक 2020 में प्राप्त सात पदकों, एक स्वर्ण और दो रजत की तुलना में उनका श्रेष्ठ प्रदर्शन माना जा सकता है। मनुभाकर, सरबजीत सिंह, स्वप्निल कुसाले और पहलवान अमन सहरावत भारतीय खिलाड़ियों में नए सितारे बनकर उभरे हैं। नीरज चोपड़ा टोक्यो खेलों की भाला फेंक प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक पाने में सफल रहे थे लेकिन इस बार पाकिस्तानी खिलाड़ी अर्शद नदीम के साथ हुए मुकाबले में नीरज चोपड़ा को रजत पदक ही हासिल हो पाया और स्वर्ण पदक पाकिस्तान के खाते में गया।
पेरिस ओलंपिक खेल (2024) की सबसे बड़ी अनहोनी, जिसकी किसी भारतीय ने कल्पना भी नहीं की थी, एशियाई खेलों (जकार्ता) में कुश्ती का 'स्वर्ण पदक' जीतने वाली महिला कुश्ती खिलाड़ी सुश्री विनेस फोगाट को 50 किलोग्राम वर्ग की प्रतियोगिता से बाहर कर दिया जाना है। इस इकलौती घटना ने जैसे समस्त देशवासियों को सन्निपात की मनोदशा में ला दिया।
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