सुपरिचित पुस्तक 'कल्कि अवतार' के लेखक की कलम से एक और शोधपरक पुस्तक "संभवामि युगे युगे" प्रस्तुत करते हुए हमें अपार प्रसन्नता हो रही है। पुस्तक में विद्वान लेखक ने विभिन्न धर्मग्रन्थों में की गई भविष्यवाणियों, खासतौर से श्रीमद्भगवद् गीता, कुरानशरीफ, पवित्र बाइबल और सुन्दर गुटका के अंश उद्धृत कर यह सिद्ध किया है कि इस युग के ईश्वरीय अवतार का आविर्भाव हो चुका है और वर्तमान काल स्वर्णयुग के जन्म के पूर्व की प्रसव पीड़ा झेल रहा है। इस युग के अवतार ने आश्वासन दिया है कि शीघ्र ही वर्तमान व्यवस्था समेट ली जायेगी और एक नई विश्व व्यवस्था उभरेगी, जिसमें अमन-चैन होगा, सुख-समृद्धि होगी और विश्व-एकता का शंखनाद होगा।
अगर हम वर्तमान विश्व के बारे में गम्भीरता से सोचें तो पायेंगे कि पिछले डेढ़ सौ सालों में जितना परिवर्तन पूरे विश्व में हुआ है उतना पिछले सैकड़ो सालों में नहीं हुआ, विश्व को एक करने की जितनी बातें हुई हैं उतनी बातें पहले कभी नहीं की गईं, युद्ध को टालने के जितने प्रयास हुए उतने पहले कभी नहीं हुए और यह सब हुआ इस युग के अवतार की शिक्षाओं और शक्ति के कारण जो इस नवयुग में धीरे-धीरे फैल रही हैं। इस आध्यात्मिक शक्ति और नवचेतना का संचार एक प्रणालीबद्ध तरीके से किया जा रहा है। यह प्रयास पूरी दुनिया में भक्तिपरक बैठकों, युवा सशक्तिकरण कार्यक्रमों, बाल नैतिक-कक्षाओं और गाँव-गाँव, शहर-शहर में समुदायों के आध्यात्मिक विकास के लिए विशेष प्रकार के पाठ्यक्रमों के आयोजन के माध्यम से किया जा रहा है। बहाइयों का समुदाय, जो पूरी दुनिया में ऐसी गतिविधियों से जुड़ा है उसका एक मात्र संकल्प है सेवा।
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