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समीक्षा चक्र- Review Cycle (In Literary and Educational Context)

$22
Specifications
HBC265
Author: Rajkumar Sharma
Publisher: Harprasad Institute Of Behavioural Studies, Agra
Language: Hindi
Edition: 2016
ISBN: 9789381427729
Pages: 220
Cover: PAPERBACK
8.50 X 5.50 inch
230 gm
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Book Description
लेखक परिचय
नाम- डॉ. राजकुमार शर्मा प्रसिद्ध नाम-डॉ. राजकुमार रंजन, जन्म तिथि-12 जनवरी 1957, जन्मस्थान-ग्राम-गढ़वार, जनपद, आगरा (उ.प्र.) व्यवसाय अध्यापन, शैक्षिक योग्यता एम.ए. (हिंदी) बी.एड., पी-एच.डी. (उर्वशी का मनोवैज्ञानिक एवं दार्शनिक अध्ययन) आगरा विश्व विद्यालय, आगरा, डिप्लोमा इन योग (जम्मू-कश्मीर), पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन जनसंचार (क. मु. विद्यापीठ, आगरा, बी. एड. हिंदी शिक्षण पारंगत (केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा)

प्रकाशित कार्य- अमर सुभाष (खण्डकाव्य), ब्रजगंधा (ब्रजभाषा काव्य संग्रह) चंदनिया धूप (नवगीत संग्रह) प्रेरणा के स्वर (राष्ट्रीय बालगीत) सूर्यपथ से (राष्ट्रीय गीत संग्रह) पदविलास (ब्रजभाषा काव्य संग्रह) कस्तूरी महक गई (श्रृंगार-गीत) उर्वशी महाकाव्य एक समालोचनात्मक मनोवैज्ञानिक एवं दार्शनिक अध्ययन, हिन्दी के विविध आयाम (संपादित लेख) 'समीक्षा चक्र' (40 प्रसिद्ध काव्य संग्रहों की समीक्षा) योग शिक्षा एवं शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य, स्वास्थ्य एवं शारीरिक शिक्षा, शारीरिक शिक्षा में स्वास्थ्य एवं खेल मनोविज्ञान, योगशिक्षा सूक्ष्म व्यायाम एवं रोग निदान। राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में अनवरत प्रकाशन। शीघ्र प्रकाश्य-ब्रजभाषा की काव्य विभूतियाँ, हिंदी भाषा और जनसंचार, विवेकायन (महाकाव्य)। समकालीन हिंदी कविता कोश में स्थान।

विमोचित कृतियाँ- 'अमर सुभाष' द्वारा 'द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी' ब्रजगंधा-द्वारा-आचार्य विष्णुकान्त शास्त्री राज्यपाल (उ. प्र.) योग एवं शारीरिक शिक्षा-प्रो. के. पी.पाण्डेय, पूर्व कुलपति काशीविद्यापीठ, उर्वशी महाकाव्य समालोचना द्वारा-पद्मश्री डा. श्याम सिंह 'शशि', चंदनिया धूप-व्यंग्यकार प्रताप दीक्षित, सूर्यपथ से- द्वारा रामजीलाल सुमन (पूर्व केन्द्रीय मंत्री) पद विलास द्वारा स्वामी अमृतानंद देव तीर्थ शंकराचार्य प्रसारण- आकाशवाणी- आगरा, मथुरा, कोलकाता, दूरदर्शन- दिल्ली, सम्मान- सहस्त्राब्दि युग बोध पुरस्कार 2001 धौलपुर (राजस्थान), 'ब्रजविभूति' - 2004 सूरपीठ (अम्बेडकर विश्व विद्यालय, आगरा, अगीत परिषद् सम्मान-2007 लखनऊ, द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी सम्मान-2008, संस्कार भारती नाट्य केन्द्र, आगरा, हिन्दी हित चिंतक सम्मान-2010, आनंद मंगलम् संस्था आगरा, नवलसिंह भदौरिया 'नवल' ब्रजभाषा सम्मान-2010 नवलस्मृति न्यास आगरा, महाकवि राजेश दीक्षित गीत सम्मान-2011 बहजोई (उ. प्र.) हिन्दी साहित्य मनीषी-2009 हिन्दी सभा, नासिक साहित्य क्षेत्र में प्रतिभागिता- 2000 कवि सम्मेलनों में काव्यपाठ 1000, कवि सम्मेलनों का संचालन एवं संयोजन शैक्षिक संगोष्ठियों में प्रतिभागिता-50 से अधिक सेमिनार एवं संगोष्ठियों में प्रतिभागिता, अनुभव-35 वर्षों का केन्द्रीय विद्यालय संगठन में अध्यापन, कार्यक्रम संयोजक- हरप्रसाद व्यवहार अध्ययन संस्थान, आगरा, पूर्व हिंदी प्रवक्ता नागरी प्रचारिणी सभा, आगरा।

समीक्ष्य बिन्दु
काव्य की आलोचना, समालोचना अथवा समीक्षा रचना-विरोधी नहीं बल्कि उसकी पूरक हैं। प्रायः कवि होने का अर्थ यह होता है कि वह पूर्ण कवि है, जब कवि की रचना की आलोचना होती है तो यह कतई नहीं समझना चाहिए कि समीक्षक व्यक्तिगत रूप से कवि के कवि होने को तार-तार कर रहा है बल्कि आलोचना का प्रमुख दायित्व होता है-रचना के बुनियादी रुझानों, उसकी मूल प्रवृत्तियों, मूल्यों, मान्यताओं तथा दिशा-दृष्टियों की जाँच-परख करना। यदि हम इस ओर दृष्टिपात करें तो समीक्षा या आलोचना उसके मनोवैज्ञानिक अथवा दार्शनिक सिद्धान्तों पर आकर टिक जाती है। हम साहित्य की आधारभूत सामग्री की चर्चा में अधिक रुचि दिखाते हुये उसकी साहित्यिक मीमांसा, भाव-पक्ष एवं कलापरक मान्यताओं पर विचार नहीं करते। इस विषय पर विचार करते हुये प्रसिद्ध विचारक एवं लेखक गणपति चन्द्र गुप्त ने लिखा है कि "ऐसा साहित्य धीरे-धीरे साहित्यिकता से दूर हटता हुआ विभिन्न राजनैतिक, धार्मिक, दार्शनिक, मनोवैज्ञानिक आदि विषयों के विचारों का संग्रह मात्र रह जाता है।"

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