बहाई धर्म यह मानता है कि ईश्वर एक है. सभी अवतार उसी एक ईश्वर के संदेशवाहक हैं और उनके बीच कोई भी अंतर नहीं है तथा समस्त मानवजाति एक है, जैसे सम्पूर्ण पृथ्वी एक देश के समान है।
बहाई धर्म यह मानता है कि अब समय आ गया है जब समस्त मानव को एक सूत्र में बंधना होगा और निश्चित रूप से मानव एक ही कुटुम्ब के सदस्य के रूप में रहेंगे। यह ईश्वर की इच्छा है।
बहाई धर्म सत्य के स्वतंत्र अनुसंधान की सिफारिश करता है, सब प्रकार के पूर्वाग्रह और अंधविश्वास की निन्दा करता है, यह मानता है कि धर्म का उद्देश्य मैत्री और परस्पर प्रेम है, द्वेष और घृणा नहीं, विज्ञान को धर्म का सहयोगी मानता है, स्त्री-पुरुषों की समानता की वकालत करता है, सबकी अनिवार्य शिक्षा का हिमायती है और गरीबी तथा अमीरी के अंतर को मिटाने के लिये कृतसंकल्प है।
बहाई धर्म में पंडित-पादरी नहीं होते। यह गुलामी, तपश्चर्या, भिक्षावृत्ति और मठवाद में विश्वास नहीं रखता, एक विवाह की सिफारिश करता है और तलाक को प्रोत्साहित नहीं करता।
बहाई धर्म सरकार के प्रति वफादारी और सेवा के भाव से किये गये कर्म को आराधना मानता है।
बहाई धर्म एक सहायक अंतर्राष्ट्रीय भाषा को इस युग के समीचीन मानता है।
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