भारतीय संस्कृति प्राचीनकालीन अन्य संस्कृतियों की अपेक्षा अधिक सर्वतोन्मुखी, लोककल्याणकारी उपादेय है। यह संस्कृति ललित कला तथा अन्य कलाओं का सृजन करती है। भारतीय लोक संस्कृति में ही राजस्थानी संस्कृति का स्थान महत्वपूर्ण माना जाता है। राजस्थान भारत वर्ष का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है जिसमें वैभव, शूरवीरता, कला संस्कृति राजस्थान के प्रमुख आकर्षण हैं जिसमें लोक कला को प्रथम माना जाता है।
लोक संस्कृति के अन्तर्गत नृत्य, गीत एवं चित्रकला जैसी अन्य विभिन्न कलाओं का स्थान श्रेष्ठतम है। नृत्य भी मानवीय अभिव्यक्तियों का एक रसमय साधन है। भारतीय नृत्य उतने ही विविध हैं जितनी हमारी संस्कृति। शास्त्रीय नृत्य तथा लोक नृत्यों की तो कोई गणना ही नहीं की जा सकती। जिस तरह भारत में कोस-कोस में वाणी बदलती है वैसे ही नृत्य शैलियाँ भी विविध हैं। नृत्य हमारी संस्कृति का प्राचीन अंग हैं, मोहनजोदड़ों और हड़प्पा के पुरातात्विक प्रमाण हैं कि नृत्य भारत की प्राचीनतम संस्कृतियों से जुड़ा है। इसी क्रम में लोक संस्कृति को प्रदर्शित करने वाले वस्त्र परिधानों को भी विशेष महत्व दिया जा सकता है क्योंकि प्राचीनकाल से ही वस्त्र परिधान समाज के विविध वर्गों का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं।
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