पुस्तक परिचय
राधानाथ राय (1848 1908) ऐसे बंगाली कुल के थे, जो पीढ़ियों से ओडिशा में ही बसा था
उनके काव्यों ने ओड़िया कविता मे एक नयी परपरा की सृष्टि की और बीसवी शताब्दी के लगभग मध्य तक के परवर्ती कवियो को प्रभावित किया ओड़िया कविता को उन्होंने नये रूपो, नये विषयों, एक नये उपागम और पूर्वा पेक्षा अधिक उन्मुक्तता के प्रवर्त्तन से समृद्ध किया ओड़िया कविता में जो बहुत कुछ नया वह लाये, उसमें माइकेल मधुसूदन दत्त की बाड. ला कविता के नमूने पर रचित अमित्राक्षर छंद स्कॉट और वर्ड, सवर्थ का पदानुसरण करती चित्रकल्प, संगीतमयी किंतु प्रकटार्थ एवं अद्वयार्थ भाषा के प्रयोग, ड्रायडन् और पोप के ढंग के आपेक्षी व्यग्य, स्वेच्छा चारियों, निरंकुश अत्याचारियों और उत्पीड़कों की भर्त्सना, सामाजिक समस्याओं की चिंता, परपरा रूढ़ नैतिकता के प्रति प्रतिवाद भावना, देव देवियो की शक्ति में अविश्वास और स्वदेशानुराग के मनोभाव आदि तत्वों के नाम लिये जा सकते हैं । स्वदेशानुराग के मनोभावों की काव्याभिव्यक्ति के कारण तो उन्हें अपने नियोक्ताओं का कोपभाजन भी बनना पड गया था ओडिशा मे उन्हे सर्वोच्च कोटि के राष्ट्रवादी कवि का मान दिया गया
लेखक परिचय
इस एकध्यायिका के लेखक डॉ० गोपीनाथ महाती का परिचय भारतीय साहित्य के किसी भी अध्येता को दिये जाने की कोई आवश्यकता नही है प्रस्तुत एकध्यायिका के पाठक इसमें ओडिशा के एक महिमा शिखरी उपन्यास कार को अपनी भाषा के एक महिमा शिखरी कवि के प्रति बहुत ही सुप्रत्यायक और सुप्रत्यायक भाषा मे ऊँची से ऊँची गुणी गुणार्चना के भाव निवेदित करते पायेंगे ।
विषय वस्त
1
परिचायिका
9
2
जीवन और कर्मजीवन
14
3
राधानाथ राय के लेखन
34
4
राधानाथ के काव्य का समीक्षात्मक मूल्यांकन
65
5
अनुक्रमणी
84
For privacy concerns, please view our Privacy Policy
Hindu ( हिंदू धर्म ) (12491)
Tantra ( तन्त्र ) (986)
Vedas ( वेद ) (705)
Ayurveda ( आयुर्वेद ) (1890)
Chaukhamba | चौखंबा (3352)
Jyotish ( ज्योतिष ) (1442)
Yoga ( योग ) (1093)
Ramayana ( रामायण ) (1389)
Gita Press ( गीता प्रेस ) (731)
Sahitya ( साहित्य ) (23031)
History ( इतिहास ) (8222)
Philosophy ( दर्शन ) (3378)
Santvani ( सन्त वाणी ) (2532)
Vedanta ( वेदांत ) (121)
Send as free online greeting card
Email a Friend
Manage Wishlist