सम्माननीय पाठक बंधु भगिनी कर्तृत्व की साक्षात प्रतिमूर्ति प्रत्येक भारतीय महिला की आदर्श एक ऐसा चरित्र जिसमें व्यवहार, चिन्तन, आचरण, मातृत्व, कर्तृत्व, नेतृत्व के सभी गुण साकारित हो, ऐसी पूजनीय पुण्यश्लोक अहिल्याबाई के जीवन का चिन्तन ही मन-प्राण आत्मा में नवीन ऊर्जा व सकारात्मकता का संचार करता है। इनके जीवन वृतांत पर लिखना अपने आप में सूर्य को दीपक दिखाने के समान है। मैं अत्यल्प बुद्धि, ज्ञान, अनुभव, कार्यनिष्ठा के कारण उनके महान कर्तृत्व को लेखन स्वरूप में प्रस्तुत कर पाऊं ये सोचकर ही मन रोमांचित होता है। किस प्रकार आज से 300 वर्ष पूर्व एक सामान्य परिवार में जन्म लेने वाली सामान्य सी शिव की अनन्य भक्त कन्या अपनी बुद्धिमता, साहस, दृढनिश्चय, दूरदर्शिता, तेज, कृर्तव्य निष्ठता, समर्पण, सनातन मान्यताओं के कारण महेश्वर की महारानी बनती है। और केवल महारानी ही नहीं, अपनी विकट परिस्थितियों के बावजूद भी प्रजावत्सला, पूरे समय केवल अपनी प्रजा जिसे वह अपनी सन्तानों से पहले मानती थी, उनकी सुरक्षा, समृद्धि व विकास की चिन्ता व उसे पूरा करने में लगी रही, ऐसी लोकमाता, पुण्यश्लोका, देवी, शिवगामिनी, वीरांगना, शक्तिस्वरूपा माँ, सनातन संवाहिका, पर्यावरण संरक्षिका, न्यायप्रिया, धर्मप्रिया, कुशल राजनीतिज्ञ, प्रशासक, प्रबंधक व नियन्त्रक, सम्राज्ञी, संत के जीवन को पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करने का अल्प प्रयास है।
इस वर्ष पुण्य श्लोक लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर त्रिशताब्दी जयन्ती समारोह वर्ष भर देश के समस्त प्रान्तों, में प्रत्येक स्तर पर मनाया जायेगा। अहिल्याबाई का जीवन चरित्र भारत वर्ष के प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंचे इस हेतु प्रत्येक विचारवान व्यक्ति व वैचारिक संगठन अहिल्याबाई के जीवन चरित्र को पढ़ने व उनके बारे में अधिक से अधिक जानकारी एकत्र करने हेतु प्रयासरत है।
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