निवेदन
भक्तके हृदयमें भगवान् बसते हैं, भगवान्के हृदयमें भक्त। यह एक ऐसा योग है जिसमें वियोग होता ही नहीं, जिसमें भक्त और भगवान्का एकान्त मिलन निरन्तर होता ही रहता है। उद्धव ऐसे ही प्रेमी भक्त हैं और स्वयं भगवान्ने उन्हें 'प्रियतम' कहकर सम्बोधित किया है। उन्हीं महाभागवत परम प्रेमी उद्धवका चरित्र आपके हाथोंमें है। आपकेसुपरिचित लेखक पण्डित श्रीशान्तनुविहारीजी द्विवेदीने पूर्ण प्रीतिके साथ इसका प्रणयन किया है। आधार तो मुख्यत: श्रीमद्भागवत तथा गर्गसंहिताका है ही परन्तु उन्होंने अपनी सुन्दर एवं भावपूर्ण शैलीमें चरित्रका जो विन्यास-किया है वह पाठकोंको विशेष प्रीतिकर होगा ऐसा मेरा विश्वास है। पुस्तकके अन्तिम भागमें उद्धवके प्रति भगवान् श्रीकृष्णके उपदेश संकलित हैं जिसके कारण पुस्तककी उपयोगिता और भी बढ़ गयी है। आशा है यह पुस्तक पाठकोंको भगवत्प्रेमकी प्राप्तिमें सहायक सिद्ध होगी।
For privacy concerns, please view our Privacy Policy
Hindu ( हिंदू धर्म ) (12493)
Tantra ( तन्त्र ) (986)
Vedas ( वेद ) (705)
Ayurveda ( आयुर्वेद ) (1890)
Chaukhamba | चौखंबा (3352)
Jyotish ( ज्योतिष ) (1444)
Yoga ( योग ) (1093)
Ramayana ( रामायण ) (1390)
Gita Press ( गीता प्रेस ) (731)
Sahitya ( साहित्य ) (23046)
History ( इतिहास ) (8221)
Philosophy ( दर्शन ) (3383)
Santvani ( सन्त वाणी ) (2532)
Vedanta ( वेदांत ) (121)
Send as free online greeting card
Email a Friend
Manage Wishlist