विश्व साहित्यकारों की श्रृंखला में मुंशी प्रेमचंद का नाम अग्रणी साहित्यकारों में गिना जाता है। बीसवीं सदी के साहित्यकारों में वे मैक्सिम गोर्की, बनॉर्ड शॉ और रविन्द्रनाथ ठाकुर की कोटि में आते है। मुंशी प्रेमचंद अपनी प्रतिभा के धनी होते हुए भी कलम के सिपाही और जनता जनार्दन के हितैषी-मसीहा के रूप में जाने जाते हैं। मैक्सिम गोर्की और गुरुदेव रविन्द्रनाथ टैगोर की भांति उनकी भाषा पर सीधी पकड़ और विषयवस्तु पर गहरी पैठ थी।
मुंशी प्रेमचंद ने निर्धन भारतीय समाज, शोषण और जमींदारी अत्याचार और पूँजीवादी व्यवस्था को बड़ी निकटता से देखा था। उनके दिल और दिमाग पर नारी-उत्पीड़न, दहेज-प्रथा, अशिक्षा, शोषण, असमानता, अस्पृश्यता आदि कुप्रथाओं की आह थी। इन सभी से निपटने के लिए उन्होंने अपने कथा-साहित्य के माध्यम से जो आवाज बुलंद की, वह भारतीय साहित्य और जनचेतना के इतिहास में एक अमूल्य निधि है। हिन्दी और उर्दू कथा-लेखन की विधा की श्रृंखला में कहानी और उपन्यास कला की सामाजिक मांग को पहचानकर मुंशी प्रेमचंद ने उसकी आवश्यकताओं और संभावनाओं का सच्चा ज्ञान प्राप्त किया और उसके अनुरूप वातावरण उपस्थित करने का प्रयास किया। उन्होंने एक ऐसी पृष्ठभूमि तैयार की, जिसके आधार स्तंभ के आलंबन पर टिककर वे उपन्यास और कहानी-विधाओं और इस युग की प्रगतिशील और परिवर्तनशील समस्याओं का अपने साहित्य में समावेश कर सके।
प्रेमचंद ने पहली बार हिन्दी-साहित्य को एक उत्तरोत्तर, साफ-सुथरा कथा-साहित्य प्रदान किया। उसके बाद उन्होंने हिन्दी उपन्यास के क्षेत्र में मानव की एक सजीव हंसनेवाली, रोनेवाली, हृदय रखनेवाली, परिस्थितियों को प्रभावित करनेवाली और परिस्थितियों से जूझनेवाले मानव को प्रतिष्ठित किया। भारतीय सामाजिक जीवन का ऐसा कोई भी पहलू नहीं है, जिसकी गुत्थी को प्रेमचंद ने सुलझाने का प्रयास न किया हो। वे भारतीय जीवन के विभिन्न पहलुओं से परिचित थे, इसलिए उन्होंने समाज को बहुत बारीकी और नजदीकी से देखा था।
For privacy concerns, please view our Privacy Policy
Hindu (हिंदू धर्म) (12551)
Tantra ( तन्त्र ) (1004)
Vedas ( वेद ) (708)
Ayurveda (आयुर्वेद) (1902)
Chaukhamba | चौखंबा (3354)
Jyotish (ज्योतिष) (1455)
Yoga (योग) (1101)
Ramayana (रामायण) (1390)
Gita Press (गीता प्रेस) (731)
Sahitya (साहित्य) (23143)
History (इतिहास) (8257)
Philosophy (दर्शन) (3393)
Santvani (सन्त वाणी) (2593)
Vedanta ( वेदांत ) (120)
Send as free online greeting card
Email a Friend
Manage Wishlist