समाजवाद पूंजीवाद से उल्टी व्यवस्था नहीं है। समाजवाद पूंजीवाद का चरम विकास है। पूंजीवाद जब पूरी तरह विकसित होता है तो समाजवाद में रूपांतरित हो जाता है। जब पूंजी इतनी अतिरेक हो जाती है कि उसे व्यक्ति के पास रखने का कोई अर्थ नहीं होता तभी वह समाज में ओव्हरफ्लो करती है। तभी वह समाज में बंट सकती है। लेकिन जब तक पूंजी बहुत कम है तब तक समाजवाद स्विसाइडल, आत्मघाती है, अपने हाथ से मर जाने का उपाय है।
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