पुस्तक के विषय में
विजय तेंदुलकर की मूल मराठी नाटक कृति 'अशी पाखरे येती' का यह हिन्दी अनुवाद अब पूरे देश की नाट्स सम्पदा का महत्वपूर्ण अंश है। जहाँ भी रंगमंच है, वहाँ यह नाटक लगातार खेला जा रहा है। कितने ही नगरों में दर्शकों की माँग पर इस नाटक के अनेकानेक प्रदर्शक हुए हैं जो कृति के समग्र प्रभाव का आकलन तो करते ही हैं- लोकरूचि के स्वस्थ परिवार की भी सूचना देते है। नाटक में तमाम शिल्पगत विशेषताएँ भरी हुई हैं। सबसे अचरज की बात यह है कि यह नाटक साधारण दर्शक से लेकर सुरुचि सम्पत्र अभिजात्म्य बौद्धिक वर्ग को भी तीन घंटे तक अपने अन्दर बाँधे रहता है। इस अर्थ में कृति सचमुच नाट्य जगत की अभूतपूर्व घटना है-जैस कि भारतीय पत्र-पत्रिकाओं ने इसके बारे में एक स्वर से घोषणा की है।
इस नाटक ने हर स्तर के दर्शकों को बरबस आकर्षित और अभिभूत किया है। अपने भीतर प्रभाहित करुणा की धारा को संपुंजित किये हुए दर्शकों को यह नाटक हँसाता चलता है। यह इस नाटककार की अपनी विशेषता है।
जन्म:-7 जनवरी, 1928 गतिविधियाँ मराठी के आधुनिक नाटककारों में शीर्षस्थ विजय तेंडुलकर अखिल भारतीय स्तर पर प्रतिष्ठित एक महत्वपूर्ण नाटककार हैं । 50 से अधिक नाटकों के रचयिता तेंडुलकर ने अपने कथ्य और शिल्प की नवीनता से निर्देशकों और दर्शकों, दोनों को बराबर आकर्षित किया । पूरे देश में उनके नाटकों के अनुवाद एवं मंचन हो चुके हैं । हिन्दी में उनके 30 से अधिक नाटक खेले जा चुके हैं।
साहित्य सेवा : ' खामोश, अदालत जारी है', ' घासीराम कोतवाल', 'सखाराम बाइन्डर, 'जाति ही पूछो साधु की' और 'गिद्ध ' आदि बहुचर्चित-बहुमंचित नाटकों के अलावा उनकी प्रमुख नाट्य रचनाएँ हैं ' अजी', ' अमीर', ' कन्यादान', 'कमला, 'चार दिन', 'नया आदमी', 'बेबी', ' मीता की कहानी', ' राजा माँगे पसीना', 'सफर', 'नया आदमी', 'हतेरी किस्मत', ' आह', ' दंभद्वीप', ' पंछी ऐसे आते हैं', 'काग विद्यालय', ' काग़ज़ी कारतूस', ' नोटिस', ' पटेल की बेटी का ब्याह', 'पसीना-पसीना', ' महंगासुर का वध', 'मैं जीता मैं हारा', 'कुत्ते', 'श्रीमंत', आदि।
परिचिति की पीठिका
भारतीय नाट्य-जगत् में 'पंछी ऐसे आते हैं' को अब परिचय की आवश्यकता नहीं है । बम्बई, दिल्ली, कलकत्ता, इलाहाबाद, लखनऊ के अतिरिक्त देश के अन्यान्य भागों में यह नाटक अनेक बार खेला जा चुका है । नाट्य-प्रेमियों में इस नाटक की लोकप्रियता के कारण ही इसे पुस्तक के रूप में प्रकाशित करने की अनिवार्यता आ गयी है।
एक संकल्पित व्यावसायिक नाट्य संस्था के प्रथम नाटक के रूप में इस नाटक के मूल मराठी 'अशी पाखर येती' की सरंचना हुई थी । कालान्तर में वह नाट्य संस्था तो अमूर्त ही रह गयी लेकिन यह नाटक पूरे देश पर क्रमश: छा गया । वस्तुत: अमरीकन नाटक 'रेनमेकर का रूपान्तर करने के विचार से इस नाटक की शुरुआत हुई थी किन्तु भारतीय मानस के अनुरूप करते-करते नाटककार विजय तेंडुलकर ने इसे सर्वथा नयी कथावस्तु के रूप में प्रस्तुत कर दिया।
इस नाटक ने हर स्तर के दर्शकों को बरबस आकर्षित और अभिभूत किया है। अपने भीतर प्रवाहित करुणा की धारा को सम्पुञ्जित किये हुए पूरे तीन घण्टे दर्शकों को यह नाटक हँसाता चलता है । यह इस नाटककार की अपनी विशेषता है। अनुवाद के बारे में मैं क्या कहूँ-आप ही कहियेगा।
1
पात्र-परिचय
2
अरुण
3
बण्डा
4
अत्रा
5
सरु
6
विश्वास राव
7
छोटा लड़का
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