विध्वंस के कगार पर खड़े इस संसार में संपूर्ण जीवन की गहरी समझ में से उपजी एक पूर्णतया भिन्न प्रकार की नैतिकता और आचरण की वेहद आवश्यकता है, ऐसा कृष्णमूर्ति जोर देकर कहते हैं। तमाम तरह की राजनैतिक, आर्थिक और सामाजिक क्रांतियां इस दिशा में विफल रही हैं। लेकिन एक मौलिक क्रांति है जो हमारे मानस के आमूलचूल परिवर्तन से सीधे संबंध रखती है और इसकी शुरुआत होती है सम्यक् शिक्षा और मनुष्य के समग्र विकास से।
जे० कृष्णमूर्ति की महत्त्वपूर्ण पुस्तक 'लाईफ अहेड' अभिभावको, शिक्षकों और छात्रों को संबोधित वार्ताओं का संकलन है। इसी पुस्तक की प्रस्तावना का द्विभाषी संस्करण 'सीखने की कला' के रूप में प्रस्तुत है। सम्यक् शिक्षा और समग्र विकास में 'सीखना' सर्वोपरि महत्त्व की प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया में न तो तुलनात्मक मूल्यांकन का कोई स्थान होता है और न ही किसी प्रकार की कोई 'सत्ता' का। यहां शिक्षक और शिक्षार्थी दोनों एक साथ मिलकर सीखते हैं और जीवन को समग्रता में समझते हैं।
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