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नेमिचंद्र जैन (भारतीय साहित्य के निर्माता): Nemichandra Jain (Makers of Indian Literature)

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Item Code: NZA508
Publisher: SAHITYA AKADEMI
Author: ज्योतिष जोशी: Jyotish Joshi
Language: Hindi
Edition: 2008
ISBN: 9788126023455
Pages: 120
Cover: Paperback
Other Details 8.5 inch X 5.5 inch
Weight 170 gm
Fully insured
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Book Description
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पुस्तक के बारे में

 

नेमिचंद्र जैन (जन्म 16 अगस्त, 1919, आगरा; निधन 24 मार्च, 2005, नई दिल्ली) हिन्दी के प्रतिष्ठित कवि, आलोचक, नाट्य चिन्तक और संपादक थे । अंग्रेज़ी में एम. . की उपाधि प्राप्त करने के वाद वे देश की, आज़ादी के संघर्ष में भी शामिल हुए थे । जीवन के सघर्ष में रास्ता चुनकर उन्होंने पिता की व्यापारिक विरासत को सँभालने से इंकार किया और शुजालपुर (उज्जैन) स्थित शारदा शिक्षा सदनमें नारायण विष्णु जोशी तथा गजानन माधव मुक्तिबोधके साथ अध्यापन कार्य किया । उसी विद्यालय में, अध्यापन करते मुक्तिबोधको उन्होंने मार्क्सवाद की ओर प्रेरित किया, जो उस समय तक दार्शनिक किस्म के लेखक थे । वहां से निकलकर वे कलकत्ता गरा, जहाँ वे वामपंथी साप्ताहिक स्वाधीनतासे जुड़े । इसी दौरान 1944 में तार सप्तकका प्रकाशन हुआ, जिसमें उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी।

संगीत नाटक अकादेमी के सहायक सचिव और कार्यकारी सचिव का दायित्व सँभालने के बाद उसकी एक इकाई के रूप में स्थापित होनेवाले राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय को व्यवस्था देने में उनका महत्वपूर्ण योगदान है । वहाँ से सेवा निवृत्ति के बाद वे कला अनुशीलन केन्द्र, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में फ़ेलो भी रहे । 1965 से निकलनेवाली रंगमंच की त्रेमासिकी नटरंग के ख्यात संपादक नेमिचंद्र जैन नै जहां रंगदर्शन भारतीय नाट्य परपंरा रंगकर्म की भाषा और तीसरा पाठ जैसी कृतियों के माध्यम से नाट्यालाचन की सैद्धांतिकी निर्मित की, वहीं अधूरे साक्षात्कार और जनातिक पुस्तकों के माध्यम से हिन्दी की औपन्यासिक आलोचना को व्यवस्था दी । बदलते परिप्रेक्ष्य दृश्य-अदृश्य जैसी पुस्तकें उनके गहरे सांस्कृतिक विमर्श की परिचायक हैं तो मेरे सासात्कार उनके संघर्षों तथा उनके निर्द्वन्द्व विचारों का प्रामाणिक साक्ष्य है ।

लंबी जीवन-यात्रा के दौरान अपने कार्यों में अन्यता सिद्ध करनेवाले नेमिचंद्र जैन को भारत के राष्ट्रपति की ओर से पद्मश्री अलंकरण संगीत नाटक अकादेमी द्वारा राष्ट्रीय सम्मान तथा दिल्ली हिन्दी अकादमी के शलाका सम्मान से विभूषित किया गया था ।

प्रस्तुत विनिबंध में हिन्दी के सुपरिचित आलोचक डॉ. ज्योतिष जोशी ने नेमिचंद्र जैन के व्यक्तित्व-क़तित्व के बहुआयामी पक्षों पर विवेचनात्मक दृष्टि डाली है । डॉ. जोशी 1990 से 1995 तक नेमिजी के संपादन मैं प्रकाशित होनेवाली पत्रिका नटरंग के सहायक संपादक रहे हैं और 1994 में नेमिजी पर एकाग्र पुस्तक सम्यक् का संपादन कर चुके हैं । संप्रति आप ललित कला अकादेमी, नई दिल्ली की समकालीन कला पत्रिका के संपादक हैं । आपकी अनेक आलोचना पुस्तकें प्रकाशित हैं । उपन्यास की समकालीनतापुस्तक पर आपको आलोचना के लिए प्रतिष्ठत देवीशंकर अवस्थी सम्मान प्राप्त है।

 

अनुक्रम

अपनी ओर से

7

1

जीवन-संघर्ष की विविधताएँ

9

2

प्रयोगशीलता और विराट् चेतना

34

3

औपन्यासिक साक्षात्कार

60

4

सभ्यता समीक्षा

76

5

रंगालोचन का व्यावहारिक स्थापत्य

93

6

उपसंहार

112

परिशिष्ट एक नेमिचंद्र जैन का मौलिक लेखन संपादन

115

परिशिष्ट दो नेमिचंद्र जैन के अनुवाद कार्य

117

परिशिष्ट तीन व्यक्तिगत उपलब्धियाँ

119

संदर्भ सामग्री

120

 

 

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