रामकथा नवनीत: The Nectar of Ramakatha

FREE Delivery
Express Shipping
$23.25
$31
(25% off)
Express Shipping: Guaranteed Dispatch in 24 hours
Quantity
Delivery Ships in 1-3 days
Item Code: HAA296
Publisher: Bharatiya Jnanpith, New Delhi
Author: पांडुरंग राव: (Panduranga Rao)
Language: Sanskrit Text with Hindi Translation
Edition: 2016
ISBN: 8126310499
Pages: 473
Cover: Hardcover
Other Details 9.0 inch X 7.0 inch
Weight 850 gm
Fully insured
Fully insured
Shipped to 153 countries
Shipped to 153 countries
More than 1M+ customers worldwide
More than 1M+ customers worldwide
100% Made in India
100% Made in India
23 years in business
23 years in business
Book Description

लेखक परिचय

जन्म 1930, आन्ध्र प्रदेश। पूर्व निदेशक (भाषाएँ) संघ लोक सेवा आयोग, नई दिल्ली तथा भारतीय भाषा परिषद्, कलकत्ता । पूर्व कार्यकारी निदेशक भारतीय ज्ञानपीठ, नई दिल्ली । संप्रति स्वतंत्र लेखन।

आन्ध्र प्रदेश में प्रथम व्यक्ति जिन्होंने हिन्दी में, नागपुर विश्वविद्यालय से 1957 में डॉक्ट्रेट किया । भाषा और साहित्य की सेवा के लिए आन्ध्र प्रदेश, बिहार और भारत सरकार द्वारा पुरस्कृत एवं सम्मानित । शैक्षणिक प्रशासक और विभिन्न साहित्यिक संस्थानों के तकनीकी परामर्शदाता और मानद सदस्य । प्रकाशन हिन्दी, तेलुगु और अँग्रेजी में तुलनात्मक साहित्य, भारतीय दर्शन और साहित्यिक आदान प्रदान से संबंधित लगभग 50 रचनाएँ ।

रामकथा नवनीत

रामायण केवल राम की कहानी नहीं है, वह राम का अयन है केवल राम का नहीं, बल्कि रामा (सीता) का भी । दोनों का समन्वित अयन ही रामायण है । राम और रामा में रमणीयता है तो अयन में गतिशीलता है । इसीलिए रामायण की रमणीयता गतिशील है । वह तमसा नदी के स्वच्छ जल की तरह प्रसन्न और रमणीय भी है और क्रौंच मिथुन के क्रंदन की तरह करुणाकलित भी है । राम प्रेम के प्रतीक हैं तो सीता करुणा की मूर्ति हैं। मानव जीवन के इन दोनों मूल्यों को आधार बनाकर वाल्मीकि ने रामायण की रचना की है जिसमें पृथ्वी और आकाश, गंध और माधुर्य तथा सत्य और सौंदर्य का मंजुल सामंजस्य कथा को अयन का गौरव प्रदान करता है । जीवन की पुकार रामायण की जीव नाडी हे । जीना और जीने देना रामायणीय संस्कृति का मूल मंत्र है और इसी में रामकथा भारती की लोकप्रियता का रहस्य है ।

भारतीय जनजीवन में ही नहीं, बल्कि विश्व संस्कृति में भी वाल्मीकि की इस अमर कृति का विशिष्ट स्थान है । जीवन के हर प्रसंग में रामायण की याद आती है और हर व्यक्ति की जीवनी राम कहानी सी लगती है । समता, ममता और समरसता पर आधारित मानव जीवन की इसी मधुर मनोहारिता का मार्मिक चित्रण ही आर्ष कवि की अनर्घ सृष्टि का बीज है । यही बीज रामायण के विविध प्रसंगों में क्रमश पल्लवित होकर अंत में रामराज्य के शुभोदय में सुंदर पारिजात के रूप में विकसित होता है । यही रामायण का परमार्थ है, रामकथा नवनीत है और यही है आदिकवि का आत्मदर्शन ।

अनुक्रम

  बाल्य  
1 मधुरं मधुराक्षरम् 3
2 जिज्ञासा और समाधान 7
3 प्रेरणा और प्रणयन 11
4 सत्यपुरी में सत्यसंध 15
5 जैसी इष्टि वैसी सृष्टि 19
6 आँगन में चार चाँद 24
7 मुनि के संग साथ निषंग 29
8 अस्त्र संग्रहण-असुर संहरण 34
9 मुनि के मुँह से मधुर कथामृत 39
10 प्रेम धाम राम, पद पुनीत काम 44
11 ब्रहा तेज की खोज मैं 49
12 घर आए सीतापति राम 54
  अयोध्या  
13 लोकाभिराम राम 61
14 संकल्प और विकल्प 66
15 संघर्ष और समन्वय 72
16 माता की मंगल कामना 78
17 साथ ले चलो नाथ 83
18 चले माँगने बिदा पिता से 89
19 साथ चली शोकाकुल नगरी 95
20 ललितभाषिणी लक्ष्मण माता 100
21 तमसा तट पर पहली रात 105
22 गुह से स्नेह गंगा पार 110
23 भरद्वाज का पथ प्रदर्शन 117
24 ले चल वहीं जहाँ हैं राम 122
25 पाप शाप परिताप समापन 127
26 आए भरत बुलावा पाकर 131
27 क्षमा करो माँ निरपराध मैं 136
28 अब चित चेति चित्रकूटहिं चलु 141
29 पग-पग पर प्रभुपद की छाया 146
30 राज करेगी राम पादुका 151
31 अंगराग अनसूया माँ का 157
  अरण्य  
32 दंडक में कोदंड-चापधर 165
33 पुलक उठे तरु-ताल-तपोवन 171
34 पंचवटी ने बीज बो दिया 177
35 जन स्थान निर्जन क्षण भर में 182
36 कान भर गए दशकंधर के 186
37 काम बन गया सुर मुनियों का 192
38 सीता रहित जगत् सब सूना 198
39 प्राण संहरण पथ-प्रदर्शन 204
40 चारुभाषिणी श्रमणी शबरी 209
  किष्किंधा  
41 पंपा-तट पर पवन-समागम 217
42 रघुपति से रवि-सुत की मैत्री 222
43 धर्माधर्म विवेक-विवेचन 228
44 हरि-नगरी का पुनरावासन 233
45 राजभोग में राम-रागिनी 239
46 अन्वेषण आरंभ चतुर्दिक् 245
47 स्वयंप्रभा, संपाति सहायन 250
  सुंदर  
48 आंजनेय का आत्म-विवर्ध्दन 259
49 लंका नगरी का सर्वेक्षण 265
50 सीता-माता का संदर्शन 271
51 रावण का निर्लज्ज प्रलापन 277
52 सपने में साकार बना सच 283
53 स्वामी का संदेश-निवेदन 289
54 अभिज्ञान, प्रत्यय, आश्वासन 295
55 जय निनाद, त्रासन, प्रिय बंधन 302
56 संभाषण, संदीपन, संभ्रम 307
57 प्रतिप्रयाण, मधुमय संक्षेपण 312
58 मारुतनंदन का अभिनंदन 318
  विजय  
59 तदनंतर कर्तव्य विचारण 325
60 परामर्श, परमंत्र-विभेदन 332
61 शरणागत का हार्दिक स्वागत 339
62 शरसंधान, शरधि का बंधन 345
63 शुक-सारण शार्दूल नियोजन 352
64 माया-मोहा-निवारण, सांत्वन 357
65 सुवेलाद्रि पर सीतावल्लभ 362
66 आवेशित सुग्रीव सुरक्षित 367
67 नागपाश-बंधन में मोचन 372
68 रण-यात्रा राक्षस-वीरो की 378
69 शर-स्पर्श का पहला अनुभव 384
70 निद्रानिधि का नेत्र-निमीलन 390
71 वीर विदारण, मृत संजीवन 398
72 मायावी का मोह-निषूदन 405
73 महामेध की महती आहुति 413
74 लंकानगरी पुनरावासित 422
75 तपसिवनी का ताप-निरूपण 428
76 साथ चले सब लोग अयोध्या 438
77 युगयुग का अग-जग परिपालक 445

 

Sample Pages




















Frequently Asked Questions
  • Q. What locations do you deliver to ?
    A. Exotic India delivers orders to all countries having diplomatic relations with India.
  • Q. Do you offer free shipping ?
    A. Exotic India offers free shipping on all orders of value of $30 USD or more.
  • Q. Can I return the book?
    A. All returns must be postmarked within seven (7) days of the delivery date. All returned items must be in new and unused condition, with all original tags and labels attached. To know more please view our return policy
  • Q. Do you offer express shipping ?
    A. Yes, we do have a chargeable express shipping facility available. You can select express shipping while checking out on the website.
  • Q. I accidentally entered wrong delivery address, can I change the address ?
    A. Delivery addresses can only be changed only incase the order has not been shipped yet. Incase of an address change, you can reach us at help@exoticindia.com
  • Q. How do I track my order ?
    A. You can track your orders simply entering your order number through here or through your past orders if you are signed in on the website.
  • Q. How can I cancel an order ?
    A. An order can only be cancelled if it has not been shipped. To cancel an order, kindly reach out to us through help@exoticindia.com.
Add a review
Have A Question

For privacy concerns, please view our Privacy Policy

Book Categories