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नवगीत मंजरी: Navgeet Manjri

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Veer Bahadur Singh Purvanchal University, Jaunpur "Hindi Study Council" M.A. (Second Year) Fourth Semester The only text book approved by the session 2022-2023 in compliance with the Education Policy 2020
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Item Code: HBD709
Author: Sanjay Kumar Suman, Sudha Singh
Publisher: Rudra Publication, Delhi
Language: Hindi
Edition: 2023
ISBN: 9788196042110
Pages: 97
Cover: PAPERBACK
Other Details 8.5x5.5 inch
Weight 120 gm
Fully insured
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100% Made in India
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23 years in business
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Book Description
प्राक्कथन

किसी भी भाषा का साहित्य वहाँ के सामाजिक परिवेश और वातावरण का जीता-जागता प्रतिबिम्ब होता है। साहित्य के माध्यम से हम उस समाज के बदलते हुए स्वरुप को रेखांकित करते हैं। समय के साथ-साथ साहित्य की विचारधारा और लेखन में बदलाव आता जाता है। हिन्दी साहित्य में नवगीत भी बदलते हुए उसी क्रम की एक कड़ी है, जो जीवन के यथार्थ और अनुभूति को परम्परा से प्राप्त प्रदेय को केन्द्र में रखते हुए आकर्षक एवं महत्वपूर्ण सर्जना की है। नवगीत इस अर्थ में महत्वपूर्ण है कि इसमें भाषा, शिल्प, लोक जीवन, परम्परा, संस्कृति को नए स्वरुप में स्वीकार किया गया है। नए-नए बिम्ब एवं प्रतीकों के माध्यम से नवीन कलात्मकता का अद्भुत परिचय दिया गया है।

नवगीत जीवन से जुड़ा हुआ काव्य है। इसमें मनुष्य के जीवन से जुड़ी तमाम स्थितियों का अंकन हुआ है। भारतीय परिवार के टूटते-जुड़ते रिश्ते, आपसी टकराव, भीषण स्वार्थ, ऊब भरी जिन्दगी को नवगीत का विषय बनाया गया है। पारिवारिक सम्बन्धों को बनाये रखने की जितनी वकालत नवगीत ने किया है, उतना शायद अब तक किसी ने नहीं। यदि जीवन में प्रेम, सौन्दर्य, मनुष्यता और भाईचारा न हो तो वह निरर्थक ही समझा जायेगा। नवगीत इन तमाम स्थितियों को आधुनिकताबोध के साथ प्रस्तुत करता है।

नवगीत विश्व मानवता को बचाए रखने के लिए सतत प्रयत्नशील रहा है। विकसित एवं विकासशील देशों के आपसी टकराव और लोलुपता ने मानव समाज को बार-बार महायुद्ध में धकेलने का प्रयास किया है और एक दूसरे के समक्ष अपनी प्रभुसत्ता खड़ा करने की होड़ ने अपने संघर्ष को तीव्रता के साथ जन्म दिया है। नवगीतकारों ने अपने नवगीतों के माध्यम से वैश्विक संघर्ष पर विराम लगाया है।

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