उन्नीस लघु परिच्छेदों की तथा एक विस्तृत परिशिष्ट से अलंकृत इस पुस्तक का प्रकाशन एक सुनिश्चित योजना के अन्तर्गत किया जा रहा है। भारतीय संस्कृति, धर्म तथा साधना के उदार दृष्टिकोण तथा विकास में शैव नाथ योगियों ने पर्याप्त योगदान दिया है। हम अपनी योजनानुसार नाथ सिद्धों तथा योगियों के दर्शन, साधनाप्रणाली और चिंतना का परिचय जनसाधारण तथा सुधी जनों को कराने के लिए विभिन्न भाषाओं में लिखित तत्संबंधी साहित्य का प्रकाशन कर रहे हैं। देश की मान्य तथा सुप्रतिष्ठित भाषा के माध्यम से इस प्रकार के ग्रन्थरत्नों का प्रकाशन साधना-मंडल तथा जनसाधारण के लिए आवश्यक प्रतीत होता है। इस पुस्तक के मूल लेखक वयोवृद्ध पं० अक्षयकुमार बंद्योपाध्याय, नाथ दर्शन एवं साधना के अनुभवी तथा परिपक्व अधिकारी विद्वान् हैं। उनका यह ग्रन्थ 'नाथ-योग' नाम से पहले अंग्रेजी में प्रकाशित हुआ था। उसी का हिंदी में उल्था डॉ० रामचंद्र तिवारी ने किया है। इस पुस्तक को 'सर्वजन हिताय' प्रस्तुत करने का श्रेय तिवारी जी को ही है। उन्होंने सरल भाषा में, गंभीरता का कहीं भी त्याग न करते हुए, यह कार्य कर पुस्तक की उपादेयता में वृद्धि की है। मूल ग्रन्थ की सामग्री यथावत् रूप में इसमें रख दी गयी है। इस कार्य के लिए डॉ० तिवारी को धन्यवाद देना अपना कर्त्तव्य समझते हैं और आशा करते हैं कि विद्वज्जन, साधक तथा भारतीय संस्कृति एवं साधना के प्रेमी इसका भी मूलग्रन्थ की तरह ही स्वागत करेंगे।
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