गणित एवं फलित ज्योतिष के साथ-साथ खगोल शास्त्र के ज्ञाता. एवं अनेक ज्योतिष ग्रन्थों के रचयिता श्री रघुनन्दन प्रसादं गौड़ ने इस ग्रन्थ में न केवल मानचित्रों-रेखाचित्रों द्वारा आकाश में नक्षत्रों की स्थिति, आकृति एवं पहचान प्रस्तुत की हे वरन् अपनी सशक्त लेखनी द्वारा नक्षनाधारित .. फलकथन की बारीकियों को भी उजागर किया है।
आशा है नाक्षत्र ज्योतिष पर लिखा यह अद्वितीय ग्रन्थ फलकथन में नक्षत्रं की महती भूमिका को पुनस्र्थापित करने में सक्षम होगा।
प्राचीन ऋषि-महर्षियों ने अपनी दिव्य दृष्टि एवं सूझबूझ द्वारा क्रान्तिपथ (Ecliptic) के इर्द-गिर्द फैले हुए उन नक्षत्र-समूहों (Constellations) का उच्च-स्तरीय ज्ञान प्राप्त कर लिया था जो मानव को प्रभावित करते हैं। वैदिक तथा महाभारत काल तक भारतीय ज्योतिष में राशियों का प्रादुर्भाव नहीं हुआ था। उस समय ज्योतिष विज्ञान केवल नक्षत्र विज्ञान ही था। नक्षत्रों के आधार पर ही विभिन्न ग्रहों का शुभाशुभ फलकथन किया जाता था।
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