Easy Returns
Easy Returns
Return within 7 days of
order delivery.See T&Cs
1M+ Customers
1M+ Customers
Serving more than a
million customers worldwide.
25+ Years in Business
25+ Years in Business
A trustworthy name in Indian
art, fashion and literature.

नागपुरी एवं पंचपरगनिया व्याकरण एक तुलनात्मक अध्ययन: Nagpuri and Panchpargania Grammar: A Comparative Study

$35
Specifications
HBF455
Author: Emlin Kerketta
Publisher: Satyam Publishing House, New Delhi
Language: Hindi
Edition: 2019
ISBN: 9789389043136
Pages: 192
Cover: HARDCOVER
9.00x6.00 inch
330 gm
Delivery and Return Policies
Usually ships in 3 days
Returns and Exchanges accepted with 7 days
Free Delivery
Easy Returns
Easy Returns
Return within 7 days of
order delivery.See T&Cs
1M+ Customers
1M+ Customers
Serving more than a
million customers worldwide.
25+ Years in Business
25+ Years in Business
A trustworthy name in Indian
art, fashion and literature.
Book Description
भूमिका

झारखण्ड में मूलतः तीन प्रजाति द्रविड़, प्रोटो ऑस्ट्रोलायड एवं आर्य समुदाय के लोग अपनी भाषा-सांस्वृफतिक विशिष्टताओं के साथ एक होमोजिनस सोसाइटी का निर्माण करते हुए हजारों वर्षों से रह रहे हैं। श्रमशीलता, सहअस्तित्व, सहयोगात्मक और प्रावृफति अभिमुखता इनका ओढ़ना-बिछौना रहा है। परिणाम स्वरूप तीनों प्रजातियों ने अपने मूल प्रजातीय तत्वों को अक्षुण्ण रखते हुए एक-दूसरे को भाषिक-सांस्वृफतिक व सामाजिक स्तर पर प्रभावित भी किया है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण भूमिका है तथाकथित आर्य भाषा, जिसे झारखण्ड में सदानी की संज्ञा प्राप्त है। झारखण्ड के मूल गैर जनजाति समुदाय जिन्हें सदान कहा जाता है, के द्वारा बोले जाने के कारण सदानी नाम पड़ा है। यह भाषा मुख्यतः सदानों की मातृभाषा होने के साथ ही दो इतर प्रजातीय भाषा-भाषी समुदाय के बीच संपर्क सूत्र का कार्य करती रही हैं। क्योंकि द्रविड़ और प्रोटो ऑस्टोलाइड वर्ग की भाषाएँ आपस में परस्पर अबोध्य हैं।

सदानी झारखण्ड के विभिन्न क्षेत्र में अलग-अलग चार रूपों और नामों से हजारों वर्षों से बोली जाती है। इन्हें आज खोरठा, नागपुरी, कुरमाली और पंचपरगनिया के नामों से मान्यता प्राप्त है।

किंतु ये सदानी भाषाएँ आरम्भ से ही भाषिक साम्राज्यवाद का शिकार रही हैं। झारखण्ड से बाहर 'बिहार बंगाल' के भाषा अध्येताओं द्वारा सदानी भाषाओं के साथ न्याय नहीं किया गया है। इन भाषाविदों ने निजभाषा मोह, पूर्वाग्रह और अतीव प्रेम से प्रेरित होकर भाषिक साम्राज्यवाद की स्थापना व अपनी भाषिक श्रेष्ठता को सिद्ध करने हेतु झारखण्ड की सदानी भाषाओं के अस्तित्व को नरारने का प्रयास किया है।

उल्लेखनीय है कि विगत कुछ दशकों में झारखण्ड विद्वानों व भाषा अध्यताओं के अथक प्रयास से ये भाषाएँ अकाद‌मिक स्तर पर स्थापित हो चुकी है।

किंतु खेद की बात है कि सदानी की पाश्र्ववर्ती स्थापित भाषाओं की सर्वग्रासी प्रवत्ति से तो ये सदानी भाषाएँ बचा ली गई पर स्वयं सदानी भाषाएँ भी एक दूसरे को उदरस्थ करने की दुष्प्रवृत्ति से बच नहीं पायी और यह कुचेष्टा अब भी जारी है। मसलन कुरमाली भाषा-भाषी यह कहते फिरते हैं कि खोरठा कोई स्वतंत्र भाषा नहीं वरन कुरमाली ही है। दूसरी तरफ नागपुरी वाले निःसंकोच कहते रहे हैं कि पंचपरगनियाँ नागपुरी की विभाषा है। इसके अतिरिक्त नागपुरी वाले अपनी श्रेष्ठता का दंभ भरते हुए झारखण्ड की सभी सदानी भाषाओं को नागपुरी के क्षेत्रीय भेद कहते भी संकोच नहीं करते। नागपुरी या कुरमाली वालों के इस मनोवश्त्ति के पीछे कारण जो भी हो परन्तु इसके बावजूद सदानी भाषाओं के आंतरिक विभेद हैं, वे स्पष्ट है और एक स्वतंत्र भाषा के रूप में स्थापित होने की सारी शर्तों को पूरी करते हैं। जिनको उदरस्थ करने की प्रवृत्ति या चेष्टा को उचित नहीं कहा जा सकता।

झारखण्ड प्रदेश की मूल भाषाओं में लगभग तीस वर्षों से अध्ययन-अध्यापन चल रहा है। इस सुदीर्घ अवधि में झारखण्ड की भासिक विविधता और उनके अन्तसंबंधों को समझने के निरंतर प्रयास हो रहे है। इस क्रम में बहुत सी गुत्थियाँ सुलझी हैं. कई भ्रम छूटे हैं। बहुत प्रकार के पूर्वाग्रह भी खंडित हुए हैं। पूर्व स्थापनाएँ निरस्त हुई हैं, नवीन अवधारणाओं को स्वीवृफति मिली है। तथापि सदानी परिवार के विभिन्न सदस्यों खोरठा, नागपुरी, कुरमाली व पंचपरगनिया के बीच के साम्य और पार्थक्य पर वस्तुगत अध्ययन की आवश्यकता बनी हुई थी। यद्यपि झारखझडी भाषाओं के विलक्षण और अप्रतिम अध्येता ए.के.झा ने इस दिशा में प्रकीर्ण किंतु बड़े ठोस कार्य 1977-झारखण्ड प्रदेश की मूल भाषाओं में लगभग तीस वर्षों से अध्ययन-अध्यापन चल रहा है। इस सुदीर्घ अवधि में झारखण्ड की भासिक विविधता और उनके अन्तसंबंधों को समझने के निरंतर प्रयास हो रहे है। इस क्रम में बहुत सी गुत्थियाँ सुलझी हैं. कई भ्रम छूटे हैं। बहुत प्रकार के पूर्वाग्रह भी खंडित हुए हैं। पूर्व स्थापनाएँ निरस्त हुई हैं, नवीन अवधारणाओं को स्वीवृफति मिली है। तथापि सदानी परिवार के विभिन्न सदस्यों खोरठा, नागपुरी, कुरमाली व पंचपरगनिया के बीच के साम्य और पार्थक्य पर वस्तुगत अध्ययन की आवश्यकता बनी हुई थी। यद्यपि झारखझडी भाषाओं के विलक्षण और अप्रतिम अध्येता ए.के.झा ने इस दिशा में प्रकीर्ण किंतु बड़े ठोस कार्य 1977-78 में हो किये थे। किन्तु झा जी बड़े शैक्षिक उपाधि धारी व अकादमिक व्यक्ति नहीं थे, इसलिए उनके कार्यों को अपेक्षित महत्व नहीं दिया गया। उन्होंने सदान भाषाओं पर जो स्थापना दी थी, उसे झारखण्ड के तब के मान्य भाषाविदों ने स्वीकार करके भी आत्मसात नहीं किया था।

परंतु उसी दिशा में आज पृथक-पृथक अध्ययन विधिवत् अकाद‌मिक स्तर पर करवाया या किया जा रहा है। ऐसे अध्ययनों से जो निष्कर्ष निकल रहे हैं वे बहुत अप्रत्याशित न होकर भी बहुतों को चकित कर सकते हैं।

Frequently Asked Questions
  • Q. What locations do you deliver to ?
    A. Exotic India delivers orders to all countries having diplomatic relations with India.
  • Q. Do you offer free shipping ?
    A. Exotic India offers free shipping on all orders of value of $30 USD or more.
  • Q. Can I return the book?
    A. All returns must be postmarked within seven (7) days of the delivery date. All returned items must be in new and unused condition, with all original tags and labels attached. To know more please view our return policy
  • Q. Do you offer express shipping ?
    A. Yes, we do have a chargeable express shipping facility available. You can select express shipping while checking out on the website.
  • Q. I accidentally entered wrong delivery address, can I change the address ?
    A. Delivery addresses can only be changed only incase the order has not been shipped yet. Incase of an address change, you can reach us at help@exoticindia.com
  • Q. How do I track my order ?
    A. You can track your orders simply entering your order number through here or through your past orders if you are signed in on the website.
  • Q. How can I cancel an order ?
    A. An order can only be cancelled if it has not been shipped. To cancel an order, kindly reach out to us through help@exoticindia.com.
Add a review
Have A Question
By continuing, I agree to the Terms of Use and Privacy Policy
Book Categories