मेरे असहयोग के साथी: My Colleagues in the Non-Cooperation Movement

$15
Express Shipping
Express Shipping: Guaranteed Dispatch in 24 hours
Quantity
Delivery Ships in 1-3 days
Item Code: NZA741
Author: Mahapandita Rahula Sanktrityayana
Publisher: KITAB MAHAL
Language: Hindi
Edition: 2022
ISBN: 8122501311
Pages: 116
Cover: Paperback
Other Details 8.5 inch X 5.5 inch
Weight 110 gm
Fully insured
Fully insured
Shipped to 153 countries
Shipped to 153 countries
More than 1M+ customers worldwide
More than 1M+ customers worldwide
100% Made in India
100% Made in India
23 years in business
23 years in business
Book Description
<meta content="Microsoft Word 12 (filtered)" name="Generator" /> <style type="text/css"> <!--{cke_protected}{C}<!-- /* Font Definitions */ @font-face {font-family:Mangal; panose-1:2 4 5 3 5 2 3 3 2 2;} @font-face {font-family:"Cambria Math"; panose-1:2 4 5 3 5 4 6 3 2 4;} @font-face {font-family:Calibri; panose-1:2 15 5 2 2 2 4 3 2 4;} /* Style Definitions */ p.MsoNormal, li.MsoNormal, div.MsoNormal {margin-top:0in; margin-right:0in; margin-bottom:10.0pt; margin-left:0in; line-height:115%; font-size:11.0pt; font-family:"Calibri","sans-serif";} p.MsoListParagraph, li.MsoListParagraph, div.MsoListParagraph {margin-top:0in; margin-right:0in; margin-bottom:10.0pt; margin-left:.5in; line-height:115%; font-size:11.0pt; font-family:"Calibri","sans-serif";} p.MsoListParagraphCxSpFirst, li.MsoListParagraphCxSpFirst, div.MsoListParagraphCxSpFirst {margin-top:0in; margin-right:0in; margin-bottom:0in; margin-left:.5in; margin-bottom:.0001pt; line-height:115%; font-size:11.0pt; font-family:"Calibri","sans-serif";} p.MsoListParagraphCxSpMiddle, li.MsoListParagraphCxSpMiddle, div.MsoListParagraphCxSpMiddle {margin-top:0in; margin-right:0in; margin-bottom:0in; margin-left:.5in; margin-bottom:.0001pt; line-height:115%; font-size:11.0pt; font-family:"Calibri","sans-serif";} p.MsoListParagraphCxSpLast, li.MsoListParagraphCxSpLast, div.MsoListParagraphCxSpLast {margin-top:0in; margin-right:0in; margin-bottom:10.0pt; margin-left:.5in; line-height:115%; font-size:11.0pt; font-family:"Calibri","sans-serif";} .MsoPapDefault {margin-bottom:10.0pt; line-height:115%;} @page WordSection1 {size:8.5in 11.0in; margin:1.0in 1.0in 1.0in 1.0in;} div.WordSection1 {page:WordSection1;} -->--></style>

पुस्तक के विषय में

भूमिका

महात्मा गाँधी के असहयोग आन्दोलन के नारे की ध्वनि ने इस शान्ति के पुजारी के हृदय में तूफान उठा दिया और यह देशभक्त सेनानी असहयोगी आन्दोलन में कूद पड़ा परन्तु खेद! झंझावाद के झपेड़ों ने इस सेनानी के साथियों को विस्मृति के गर्भ में फेंक दिया आज उसी शांति-दूत द्वारा उन सहयोगियों की पुण्य-स्मृति हमारे समक्ष है

महापंडित राहुल जी ने अपने समय के सामान्य नेता से लेकर सामान्य जन-सेवक तक की सेवाओं का अत्यन्त मार्मिक रूप में चित्रण किया है भूले हुए शहीदों की पावन स्मृति जागृत करने का यह प्रथम प्रयास है इसके कुछ संस्मरण उतने मार्मिक और हृदयस्पर्शी हैं कि पाठकों की आँखें गीली हो जाती हैं

प्रकाशकीय

हिन्दी साहित्य में महापंडित राहुल सांकृत्यायन का नाम इतिहास-प्रसिद्ध और अमर विभूतियों में गिना जाता है जी की जन्म तिथि 9 अप्रैल 1893 ई० मृत्यु तिथि 14 अप्रैल 1963 ई० है उनके बचपन का नाम केदारनाथ पाण्डेय था बौद्ध दर्शन से इतना प्रभावित हुए कि स्वयं बौद्ध हो गये राहुल नाम तो बाद में पड़ा-बौद्ध हो जाने के बाद सांकृत्य गोत्रीय होने के कारण उन्हें राहुल सांकृत्यायन कहा जाने लगा

राहुल जी का समूचा जीवन घुमक्कड़ी का था भिन्न-भिन्न भाषा साहित्य एवं प्राचीन संस्कृत-पाली-प्राकृत-अपभ्रंश आदि भाषाओं का अनवरत अध्ययन-मनन करने का अपूर्व वैशिष्ट्य इनमें था प्राचीन और नवीन साहित्य-दृष्टि की जितनी पकड़ और गहरी पैठ राहुल जी की थी ऐसा योग कम ही देखने को मिलता है घुमक्कड़ जीवन के मूल में अध्ययन की प्रवृत्ति ही सर्वोपरि रही वास्तविकता यह है कि जिस प्रकार उनके पाँव नहीं रुके उसी प्रकार उनकी लेखनी भी निरंतर चलती रही विभित्र विषयों पर उन्होंने 150 से अधिक ग्रंथों का प्रणयन किया है अब तक उनके 130 से भी अधिक ग्रन्थ प्रकाशित हो चुके हैं लेखों, निक-थों एव भाषणों की गणना एक मुश्किल काम है उनकी पैठ केवल प्राचीन-नवीन भारतीय साहित्य में थी अपितु तिब्बती सिंहली, अंग्रेजी, चीनी रूसी जापानी आदि भाषाओं की जानकारी करते हुये तत्तत् साहित्य को भी उन्होंने मथ डाला उनके साहित्य में जनता, जनता का राज्य और मेहनतकश मजदूरों का स्वर प्रबल और प्रधान है

राहुल जी बहुमुखी प्रतिभा-सम्पन्न विचारक हैं महाकवि निराला ने राहुल जी के विषय में लिखा है ' 'हिन्दी के हित का अभिमान वह, दान वह '' उनकी रचनाओं में प्राचीन के प्रति आस्था, इतिहास के प्रति गौरव और वर्तमान के प्रति सधी हुई दृष्टि का समन्वय देखने को मिलता है

''राहुल जी केवल विचारक और लेखक ही नहीं थे वह एक सामाजिक, राजनीतिक कार्यकर्ता भी थे वे किसानों और दलितों के मसीहा थे '' अत असहयोग आन्दोलन से लेकर किसान आदोलन तक में काम किया, जहाँ लाठियाँ भी खानी पडी वस्तुत राहुल जी 'हिन्दी नवजागरण काल ' के आगे बड़े हुये दौर के नेता थे 1857 के स्वतंत्रता संग्राम से शुरू हुए हिन्दी नवजागरण की जिस मशाल को लेकर भारतेन्दु हरिश्चन्द्र, पं० महावीर प्रसाद द्विवेदी, आचार्य पं० रामचन्द्र शुक्ल तथा प्रेमचन्द आगे बढे, राहुल जी उसकी अगली कडी थे राहुल जी के साहित्य में सर्वाधिक प्रभावित करने वाला तत्व है, उनके पास एक संवेदनशील कवि-हृदय का होना .उनकी भाषा देशी हिन्दी है, जिसमें वह पाठकों से सहजता आतमीयता से बातें करते हैं

'राहुल जी' ने संस्मरण-लेखन में भी अपनी एक अलग निजी शैली की छाप छोडी जिसमें सरल सपाट वर्णन दृष्टिगत है उसमें साहित्य के विद्यार्थी के लिये भाषा शैली की मोहकता कहीं अधिक अनुभवजन्य ज्ञान उस व्यक्ति के व्यक्तिगत जीवन और उसके सम्पर्क में आये व्यक्तियों की विशेषताओं से मिलता है राहुल जी की इस कोटि की रचनाओं में चार प्रमुख हैं-

1. जिनका मैं कृतज्ञ हूँ

2. मेरे असहयोग के साथी

3. बचपन की स्मृतियों और

4. अतीत से वर्तमान

''उनकी प्रस्तुत पुस्तक'' मेरे असहयोग के साथी, जो वर्ष १६५६ ई० में लिखी गई, मैं महात्मा गाँधी जी के असहयोग आन्दोलन के साथियों-मधुरा बाबू, पंडित नगनारायण तिवारी, बाबू मधुसूदन सिंह, बाबू राम नरेश सिंह, बाबू लक्ष्मी नारायण सिंह बाबू राम उदार राय, बाबू प्रभुनाथ सिंह, पं० गिरीश तिवारी, गोस्वामी फुलनदेव गिरि, पं० ऋषिदेव ओझा, बाबू वासुदेव सिंह। पंडित भरत मिश्र, बाबू महेन्द्र प्रसाद, बाबू रुद्रनारायण, बाबू रामानन्द सिंह, बाबू सभापति सिंह, बाबा झाडू दास बाबू हरिनन्दन सहाय महज़ तुलसी गोसाई बाबू नारायण प्रसाद सिंह, दारोगा नन्दी, हक साहब तथा बाबू चन्द्रिका सिंह आदि महानुभावों के संस्मरण हैं ''

उक्त सभी संस्मरणों को पढने के बाद पाठकगण इन तथ्यों पर पहुँचेंगे कि महात्मा गाँधी द्वारा चलाये गये असहयोग आन्दोलन के समय बिहार प्रान्त के छपरा, एकमा सिसवन, रघुनाथपुर आदि थानों के निवासियों में स्वतंत्रता-संग्राम की लहर पूर्ण रूपेण व्याप्त हो गई थी तथा राष्ट्रीय गीतों द्वारा स्त्रियों में भी राष्ट्रीय भावना और खद्दर के साथप्रेम करने के लिये भी नगनारायण तिवारी ऐसे रचनाकारों का महत्वपूर्ण योगदान रहा

इस संस्मरणों में राहुल जी ने बडी खूबी के साथ छपरा के तत्कालीनग्रामीण जीवन का जीवन चित्रण किया है वह लिखते हैं, 'छपरा का अर्थ संकट कितना कठिन है, खासकर एक साधारण किसान का सारन जिले में एकमा थाना में वर्षा के अभाव में उतना अनाज नहीं पैदा होता कि वह बचाकर अगले साल के लिये उसे रख सके '' इसी प्रकार वहाँ की आर्थिक स्थिति के विषय में राहुल जी लिखते हैं, '' आज अंग्रेज नहीं हैं और अंग्रेजों के खुशामदी बाबू-राजा तथा उनकी शान पर लोगों का सिर फोडने वाले काले साहब भी अब उस रूप में नहीं दिखाई देते, पर आर्थिक चिन्तायें पहले से बढी है... ''बाबू राम नरेश सिंह के चरित्र को राहुल जी ने इन शब्दों में किया है...''वह चुपचाप काम करने वाले थे तथा दूसरे के कामों में भी वह शामिल होते आये संयुक्त परिवार के आर थे अल्प शिक्षित रहते भी उन्होंने अपने जीवन का बहुत सदुपयोग किया तथा भय या प्रलोभन से डिगे नहीं '' इसी प्रकार सादगी आत्मसम्मान के पक्ष को प्रतिपादित करते हुये उन्होंने बाबू हरिहर सिंह के चरित्र को उजागर करते हुये लिखा है... 'उनमें चित्रण सादगी थी भोजपुरियो में आत्मसम्मान की मात्रा जरूरत से अधिक है वह वैयक्तिक और जातिगत अपमान को सह सकते हैं।"प्रस्तुत पुस्तक राहुल जी की एक संस्मरण रचना के साथ-साथ अपने देशवासियों को उसकी स्वतंत्रता तथा अपने आत्म सम्मान की रक्षा करने का भी संदेश देती है जो व्यर्थ नहीं जाती वह लिखते हैं, '...हरिहर बाबू की तरह कितनी ही गुमनाम समिधायें हमारे देश के स्वतंत्रता यज्ञ में चुपचाप पड़ी हैं वह व्यर्थ नहीं गई। उन्होंने उस आग को प्रज्वलित रक्खा जो अन्त में अंग्रेजों को देश से बाहर निकालने में सफल हुई 'हमें पूर्ण विश्वास है कि राहुल जी की प्रस्तुत पुस्तक पाठकों को निसंदेह प्रासादान्त सिद्ध होगी।

 

विषय-सूची

1

अनुक्रम

 

2

मथुरा बाबू

1

3

पं० नगनारायण तिवारी

6

4

बाबू मधुसूदन सिंह

8

5

बाबू रामनरेश सिंह

11

6

बाबू लक्ष्मीनारायण सिंह

15

7

बाबू हरिहर सिंह

18

8

बाबू रामउदार राय

20

9

बाबू रामबहादुर लाल

22

10

बाबू प्रभुनाथ सिंह

24

11

पं० गिरीश तिवारी

27

12

गोस्वामी फुलनदेव गिरि

33

13

पं० ऋषिदेव ओझा

36

14

बाबू वासुदेव सिंह

39

15

पं० भरत मिश्र

43

16

बाबू महेन्द्र प्रसाद

48

17

बाबू रुद्रनारायण

51

18

बाबू रामानन्द सिंह

54

19

बाबू सभापति सिंह

57

20

बाबू झाडू दास

61

21

बाबू हरिनंदन सहाय

64

22

महन्त तुलसी गोसाईं

68

23

बाबू नारायण प्रसाद सिंह

71

24

दारोगा नन्दी

75

25

हक साहब

77

26

बाबू चन्द्रिका सिंह

80

27

बाबू महेन्द्रनाथ सिंह

81

28

बाबू भूलन साही

84

29

बाबू माधव सिंह

85

30

बाबू रामदेनी सिंह

87

31

बाबू जलेश्वर राय

89

32

पं० गोरखनाथ त्रिवेदी

91

33

बाबू फिरंगी सिंह

96

34

सन्त कृपालदास

97

35

बाबू पीताम्बर सिंह

98

36

बाबू हरिनारायण लाल

99

37

बाबू जलेश्वर प्रसाद

101

38

बाबा नरसिंह दास

103

39

बाबू सरयू ओझा

106

</body> </html> **Contents and Sample Pages**








Frequently Asked Questions
  • Q. What locations do you deliver to ?
    A. Exotic India delivers orders to all countries having diplomatic relations with India.
  • Q. Do you offer free shipping ?
    A. Exotic India offers free shipping on all orders of value of $30 USD or more.
  • Q. Can I return the book?
    A. All returns must be postmarked within seven (7) days of the delivery date. All returned items must be in new and unused condition, with all original tags and labels attached. To know more please view our return policy
  • Q. Do you offer express shipping ?
    A. Yes, we do have a chargeable express shipping facility available. You can select express shipping while checking out on the website.
  • Q. I accidentally entered wrong delivery address, can I change the address ?
    A. Delivery addresses can only be changed only incase the order has not been shipped yet. Incase of an address change, you can reach us at help@exoticindia.com
  • Q. How do I track my order ?
    A. You can track your orders simply entering your order number through here or through your past orders if you are signed in on the website.
  • Q. How can I cancel an order ?
    A. An order can only be cancelled if it has not been shipped. To cancel an order, kindly reach out to us through help@exoticindia.com.
Add a review
Have A Question

For privacy concerns, please view our Privacy Policy

Book Categories