पुस्तक के विषय में
मेरे श्यामसुन्दर! मेरे घनश्याम !!! घनश्याम !!! आओ, मैं, तुम्हें देख- देखकर नाचूँ । यह जीवन कितना पवित्र है, मैं तुम्हें देखकर नाचूँगा । क्या तुम आ रहे हो? तो मैं अब नाचता हूँ । तुम सचमुच आ गये । मेरे नाचके साथ बाँसुरी मिलाकर तुम भी नाच रहे हो । धन्य है तुम्हें । मेरा पक्षी जीवन सार्थक है, पर मेरा कैसा' यह तो तुम्हारा ही है । नचा लो श्याम । खूब नचा लो । जी भरकर नचा लो । मैं तुम्हारे इशारे पर नाचता हूँ ।...
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